मौसम के ओ पहले बादल
आना भी तुम
फिर आना कल
बरस बाद
बरसे तुम आ कर
बाहर भीतर आखर आखर
दिन बीते पीले पातों के
प्राण हो गये सागर सागर
तुम जैसे निर्धन का धन हो
एक एक दिन
एक एक पल
कोर कोर
पुतरी है नाचे
शब्द शब्द सुधियों के बाँचे
आज विरह ने गीत मिलन के
फूल फूल मन विजन सवाँचे
बूँद बूँद यह प्यास
हुई खुद गंगाजल
- चन्द्र प्रकाश पाण्डे
आना भी तुम
फिर आना कल
बरस बाद
बरसे तुम आ कर
बाहर भीतर आखर आखर
दिन बीते पीले पातों के
प्राण हो गये सागर सागर
तुम जैसे निर्धन का धन हो
एक एक दिन
एक एक पल
कोर कोर
पुतरी है नाचे
शब्द शब्द सुधियों के बाँचे
आज विरह ने गीत मिलन के
फूल फूल मन विजन सवाँचे
बूँद बूँद यह प्यास
हुई खुद गंगाजल
- चन्द्र प्रकाश पाण्डे
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