21 अगस्त 2014

११. शब्द शब्द वंशी - सीमा अग्रवाल

शब्द शब्द वंशी तो कर दूँ पर
कौन सुन सकेगा कोलाहल में

घूर रहे यमुना के
तट सूखी आँखों से
गुम हुए कदम्ब सभी
निस्सहाय लतरों को
थामेगा कौन कहो
टूटे अवलंब सभी

चहचहाना भूल गए पाखी दल
ईंट पत्थरों वाले जंगल में

रस भीने रास नृत्य
की भाषा बदल गयी
सरल गोपियाँ बदलीं
मादल खंजरी झाँझ
चलते डगमग डग रख
मन की गतियाँ बदलीं

खिलखिलाते सुर सारे डूब गए
भाग-दौड़ के गहरे दलदल में

- सीमा अग्रवाल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है। कृपया देवनागरी लिपि का ही प्रयोग करें।