"नवगीत की पाठशाला" में वे सभी नव रचनाकार आमंत्रित हैं जो नवगीत लिखना चाहते हैं अथवा पहले से लिख रहे हैं। नवगीत की इस ब्लाग पाठशाला में सभी सदस्य एक-दूसरे के लिखे नवगीतों को पढ़ सकेंगे तथा इस पाठशाला के गुरु, प्रबंधक एवं वरिष्ठ नवगीतकार समय-समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर महत्वपूर्ण सुझाव देते रहेंगे। चुने हुए नवगीतों को यहाँ प्रकाशित किया जाएगा तथा कुछ नवगीतों को अनुभूति जालघर पर भी गुणवत्ता के आधार पर चयन किया जाएगा। डा० जगदीश व्योम एवं पूर्णिमा वर्मन का पूर्ण सहयोग व सुझाव इस पाठशाला को मिलता रहेगा। शास्त्री नित्यगोपाल कटारे जी भी "नवगीत की पाठशाला" के साथ हैं।
कटारे जी:
जवाब देंहटाएंकहते हैं कि ’गीत’ और ’नवगीत’ आज की इस भागती दौड़ती ज़िन्दगी में मरते जा रहे हैं , दुर्लभ हो रहे हैं । आप का यह प्रयास सराहनीय है । आशा है नये लिखने वालों में ’नवगीत’ के प्रति एक नयी रुची पैदा करेगा ।
शुभ कामनाओं के साथ
एक और गीत का जनम हो
जवाब देंहटाएंएक बार और,
अधर तक आओ
एक और गीत का जनम हो,
वृक्ष में समाएं,
अर्पिता लताएं,
घेरों में बहते क्षण भर दें,
नीली पंखुरियों पर,उभरें आकृतियाँ,
फूलों पर
कुनकुने हस्ताक्षर कर दें,
चन्दन हों तपे प्रहर,
श्वांसें हों लहर॰लहर,
मन हो आकाशी, बौने सभी नियम हों,
परिचित सी देह गन्ध,
अंग अंग परसे,
पीपल के टूटे पत्ते सा,
कांपे तन फिर से,
पोर॰पोर पिघलें, सीमाएं घुल जाएं,
एक शब्द बन जाये, बस दो अक्षर से,
बाहों में पाप की ,
समर्पें कुछ पुण्य॰क्षण,
घटनाक्रम यही आजनम हो,
एक और गीत का जनम हो
एक बार और अधर तक आओ,
dr,vinod nigam
नवगीत सड़ी-गली तुकबन्दी की
जवाब देंहटाएंकाई को काटेगा
जीवन का रस
सबमें बाँटेगा
-रामेश्वर काम्बोज
Navgeet Ki Pathshala naye Lekhkon ke liye Bahut upyogi hai.
जवाब देंहटाएं-Pratyush
ॠतु गीत ....बसंत
जवाब देंहटाएंमुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ मन ।
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ वन ।।
कुछ देर डालियों पर ठहरो
पाती पर नाम लिखूँगा
अजनवी हवाओ,सखा साथियों
के तन मन पैठूँगा
धूँ धूँ जल रहे पहाड़ और
भाए भरमाये मन।
मुझसे इस अंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ वन।
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ मन ।।
कमलेश कुमार दीवान
०८ मार्च १९९५