नवगीत की पाठशाला में गत सप्ताह में डा० विनोद निगम और श्री कमलेश कुमार दीवान जी ने भी नवगीत भेजे है। डा०विनोद निगम पुरानी पीढी के सिद्धहस्त नवगीतकार है। आपका एक नवगीत संग्रह , जारी है लेकिन यात्राएं ,प्रकाशित हो चुका है। आशा है उनके गीतों से नवोदित गीतकारों को नवगीत लिखने का कौशल प्राप्त होगा।
संपादक,,,
आओ, घर लौट चलें
और नहीं, भीड़ भरा यह सूनापन
आओ ,घर लौट चलें,ओ मन,
आमों में ,डोलने लगी होगी गन्ध
अरहर के आसपास ही होंगे छन्द,
टेसू के दरवाजे होगा ,यौवन
आओ , घर लौट चलें, ओ मन,
सरसों के पास ही खड़ी होगी,
मेड़ों पर ,अलसाती हुई बातचीत,
बंसवट में घुमने लगे होंगे गीत
महुओं ने घेर लिया होगा ,आंगन,
खेतों में तैरने लगे होंगे,दृश्य
गेहूँ के घर ही होगा अभी,भविष्य,
अंगड़ाता होगा खलिहान में, सृजन,
आओ , घर लौट चलें, ओ मन,
और नहीं, भीड़ भरा यह सूनापन
-डा० विनोद निगम
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ॠतु गीत ....बसंत
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ मन ।
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ वन ।।
कुछ देर डालियों पर ठहरो
पाती पर नाम लिखूँगा
अजनवी हवाओ,सखा साथियों
के तन मन पैठूँगा
धूँ धूँ जल रहे पहाड़ और
भाए भरमाये मन।
मुझसे इस अंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ मन।
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ मन ।।
-कमलेश कुमार दीवान
१
जवाब देंहटाएंलो , वसन्त आ गया॰॰॰
कोयल है दुखी दुखी
दिखता न कोई सुखी
न जाने कौओं को कैसे यह भा गया॰॰॰॰॰
मन है उन्मन उन्मन
साथ रहे कब तक तन
मधुर कल्पनाओं को केवल थिरका गया॰॰॰॰
प्रीत हुई राजनीति
वृद्धा गए नए गीत
आजादी लहरों की स्वयं तीर खा गया॰॰॰
२
वृक्ष वसन्त हुआ॰॰॰॰॰
सूखी शाख हरी होने का
भ्रम पाले बैठी है
क्यों कि एक हरी चिड़िया
उस पर आकर बैठी है.
दो पंक्ति लिखकर कवि समझा
मैं भी पन्त हुआ॰॰॰॰
लाल रंग काले चेहरे को
कब तक देगा लाली
अपने गत गौरव को कब तक
गायेगी वैशाली
मधुशाला से लौट भक्त
मन्दिर में सन्त हुआ ॰॰॰॰
पं. गिरिमोहन गुरु