सोचो, जानो और समझ लो,
कैसे है सह जाती धरनी।
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी।
अक्सर शांत समुन्दर ने ही,
तूफां का आगाज किया है।
कठिन डगर चलने वाले को,
मंजिल ने सरताज किया है।
काम लगन से करने वालों,
मीठे फल है लाती करनी।
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी।
उजियारा होने से पहले,
होती है अंधियारी रात।
दुख के पीछे सुख आयेगा,
लगती कितनी प्यारी बात।
बुरे वक्त में अच्छा सोचो,
दिल में है आ जाती नरमी।
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी।
जीवन जीना एक कला है,
उससे यूँ घबराना कैसा।
धूप छांव के बीच रहा है,
रिश्ता अजब पुराना जैसा।
भावी खुशियों के खातिर ही,
पीड़ा है पड़ जाती सहनी।
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी।
--समीर लाल 'समीर'
कैसे है सह जाती धरनी।
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी।
अक्सर शांत समुन्दर ने ही,
तूफां का आगाज किया है।
कठिन डगर चलने वाले को,
मंजिल ने सरताज किया है।
काम लगन से करने वालों,
मीठे फल है लाती करनी।
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी।
उजियारा होने से पहले,
होती है अंधियारी रात।
दुख के पीछे सुख आयेगा,
लगती कितनी प्यारी बात।
बुरे वक्त में अच्छा सोचो,
दिल में है आ जाती नरमी।
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी।
जीवन जीना एक कला है,
उससे यूँ घबराना कैसा।
धूप छांव के बीच रहा है,
रिश्ता अजब पुराना जैसा।
भावी खुशियों के खातिर ही,
पीड़ा है पड़ जाती सहनी।
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी।
--समीर लाल 'समीर'
साकारात्मक सोच से लबरेज़ यह गीत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर, रवानगी लिये हुये,
रचयिता को मुबारक हो
सघन विचारयुक्त इस गीत में नवगीत के लक्षण कम ही हैं। थोड़ा सा प्रयास करके इसे नवगीत की श्रेणी में लाया जा सकता है। रचनाकार ने काफी परिश्रम किया है यह स्पष्ट है।
जवाब देंहटाएं"द्वाराचार " शब्द प्रयोग
जवाब देंहटाएंअनोखा और सरस लगा
इस नवगीत मेँ और
ये प्रयास भी अच्छा लगा
- लावण्या
आज पहली बार इस ब्लोग पर आना हुआ. बहुत सुन्दर गीत लगा. सकारात्मक भावों के साथ प्रवाह अद्भुत है. बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंनवगीत के लिखने के ढंग को अभी मैं समझने की कोशिश में लगी हूँ .इस लिए इस पर आने वाली हर नयी पोस्ट को पढ़ती जरुर हूँ ..यह गीत भी सरस अच्छा लगा ..इस में तो जीवन के प्रति सकारात्मक भाव है वह आकर्षित करते हैं ...एक ही लय में पढना सुखद लगा ..पर कहीं कहीं थोडा सा अटकाव भी महसूस हुआ ..बाकी तो गुणी जन ही बता पायेंगे ..जो दिल को भाये वह अच्छा है ..और यह गीत दिल को भाया .
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुवा है........... बहूत ही खूबसूरत है,
जवाब देंहटाएंaashaa का sanchaar करती huyee रचना हैं ये......... रचना में gaat की तरह गाये जाने वाली रवानगी है......... हर छंद लाजवाब है.......... ऊर्जा का संचार करती रचना
GEET KAA SARVPRATHAM NIYAM HAI USMEIN
जवाब देंहटाएंLAY KAA HOONA,SARITA KA PRAVAH
HONAA.GEETKAAR NE GEET MEIN AESE
MADHUR SHABDON KAA ISTEMAAL KIYAA
HAI JO BHARPOOR SANGEET PAIDA KARTE
HAIN.BHAA AUR SHABD DONO HEE UTKRISHT HAIN.SANGEETKAAR BADEE
PYAAREE DHUN BANAA SAKTA HAI IS
GEET PAR.GEETKAR KO MEREE NAANAA
BADHAAEEYAN.
रिमझिम बारिश के आने का,
जवाब देंहटाएंद्वारचार कर जाती गरमी.
वाह क्या सुंदर गीत रचा गया है. कल्पना शक्ति और भाव अभिव्यक्ति की बेमिसाल रचना..उपरोक्त दो लाईने तो कमाल की हैं. बस जैसे वर्तमान मौसम को भी समेट लिया है.
रचनाकार जो भी हों, उनको मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई.
रामराम.
बहुत ही उम्दा! सरल और सहज गीत!! गीतकार को हार्दिक बधाई!!
जवाब देंहटाएंआखों मे जो पानी ला दे,
वो सच्ची कविता होती है
चाहे शब्द सरल हो इसके
भावों को दिल मे बोती है!
ये कविता बिल्कुल ऐसी है,
इतनी बात है मुझको कहनी!
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी. !!!
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यह एक अच्छा संदेश वाहक गीत है। परम्परागत उपदेशों से परिपूर्ण इस गीत की सम्पूर्ण शैली भी पारम्परिक और पूर्ण अनुशासित है। कवि में पूर्ण क्षमता है नवगीत लिखने की ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गीत लगा. द्वारचार का ऐसा प्रयोग अद्भुत रहा. कभी इतनी सृजनता से सोचा ही नहीं था. कितनी सकारात्मकता है पूरे गीत में. गीतकार को बहुत बधाई और आगे पढ़ने की चाह रहे्गी.
जवाब देंहटाएंउजियारा होने से पहले,
जवाब देंहटाएंहोती है अंधियारी रात.
दुख के पीछे सुख आयेगा,
लगती कितनी प्यारी बात
" गीत की हर पंक्ति जैसे जीवन की सच्चाई को अंकित कर रही है......दुःख के बाद सुख, कठिन डगर के बाद मंजिल......धूप के बाद छांव हर बोल जीवन के पल पल से जुडा हुआ है....इस गीत को पढ़ कर एक सुखद सा एहसास मन को छु गया......सकारात्मक उर्जा से लबरेज ये गीत गीतकार की जीवन के प्रति उमंग , और आस्था को शब्द प्रदान करता सा लगा...."
regards
बडा सुंदर गीत है. इसके सहज बोल इसकी सुंदरता और माधुर्य को बढा रहे है.शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंये कविता बिल्कुल ऐसी है,
जवाब देंहटाएंइतनी बात है मुझको कहनी!
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी. !!!
bahut sundar geet.
बात समझ में आई पूरी
जवाब देंहटाएंलेखक है अपना सहधर्मी
इसीलिये जब गीत पढ़ा तो
जाग गई भावों में गर्मी
बहुत सुन्दर गीत पढ़ने को मिला. नवगीत की पाठशाला का आभार व्यक्त करता हूँ.
जवाब देंहटाएंगीत पढ़ कर बस यह भाव उभरे --
जवाब देंहटाएं"धूप छाँव सी संग संग रह्ती
आशा और निराशा
फिर भी क्यों न समझ मैं पाई
जीवन की परिभाषा"
एक आशावादी सोच के साथ उमंग भरा जीवन जीने का संदेश देती हुई सुन्दर रचना । बहुत बहुत बधाई।
शशि पाधा
भावी खुशियों के खातिर ही,
जवाब देंहटाएंपीड़ा है पड़ जाती सहनी.
sunder geet hai
इतने सरल गीत में इतने गंभीर भाव !!
जवाब देंहटाएंAti sundar
जवाब देंहटाएं