28 सितंबर 2009

कार्यशाला-५ दीपावली

नवगीतों की चौथी कार्यशाला में भाग लेने वालों को बहुत बहुत धन्यवाद। अभी कार्यशाला-4 पर विशेषज्ञों की टिप्पणी आना बाकी है लेकिन उसके पहले अच्छा यह है कि अगली कार्यशाला के विषय की घोषणा कर दी जाए। क्या ही अच्छा हो अगर सब अगली कार्यशाला में दीपावली को विषय बनाएँ। इसका विषय दीये भी हो सकते हैं कंदील भी दीपावली का पर्व भी और फुलझरियाँ भी। कोशिश कर के और भी नए विषय ढूँढें जो दीपावली से संबंधित हों। नए बिम्ब नई उपमाओं की खोज करें। कथन में नयापन लाने की कोशिश हो और शब्दों में गीत का बहाव हो। गीत दो या तीन अंतरों से अधिक लंबा न हो। चुनी हुई रचनाएँ अनुभूति के दीपावली विशेषांक या उसके बाद प्रकाशित की जा सकती है।

यहाँ एक चैट बॉक्स लगाया है विचार विनिमय के लिए। नीचे दाहिनी ओर यह संकेत मिलता है कि कितने लोग ऑनलाइन हैं। उसको ध्यान में रखकर बात की जा सकती है।

कार्यशाला-4 से अनुभूति के लिए जिन कवियों की रचनाएँ चुनी गई हैं उनके नाम हैं- निर्मला जोशी, शशि पाधा, आचार्य संजीव सलिल, अमित और धर्मेन्द्र कुमार सिंह सज्जन। आशा है हमारे विशेषज्ञ जल्दी ही अपनी समीक्षा प्रेषित करेंगे।
नयी कार्यशाला की अनेक शुभकामनाओं के साथ -पूर्णिमा वर्मन

7 टिप्‍पणियां:

  1. विजयदशमी की शुभकामनाएँ!

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  2. पूर्णिमा जी,

    कार्यशाला की समाप्ति पर आप को, आदरणीय कटारे जी को तथा सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देना चाहूँगी । आप सब ने अपनी अमूल्य टिप्पणी देकर मुझे अनुगृहीत किया । आगामी कार्यशाला के लिए शुभकामनाएँ ।

    शशि पाधा

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  3. कार्यशाला - ५ की घोषणा के लिये धन्यवाद! विशेषज्ञों की टिप्पणी की प्रतीक्षा है।

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  4. मेरी कविता को अनुभूति के योग्य समझने के लिए विद्वज्जनों को धन्यवाद। नई कार्यशाला के लिए शुभकामनायें। क्या इस बार भी रचनाएँ उसी पते अर्थात navgeetkipathshala(at)gmail.com पर ही भेजनीं हैं।

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  5. विगत मास कुछ अजीब सी व्यस्तताओं से भरे रहे तो लाख चाहते हुये भी पिछली कार्यशाला में हिस्सा न ले सका...जिसका अफसोस रहेगा। अब फुरसत में हूं तो एक-एक कर इस कार्यशाला की रचनाओं को पढ़ता हूं।

    नयी कार्यशाला का विषय खूब चुना गया है। धूम मचेगी।

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  6. मैं इस क्षेत्र / ब्लॉग के में नया हूं। आज ही इससे अवगत हुआ हूं। 5 वीं कार्यशाला में भाग लूंगा।

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  7. बढ़ा दो अपनी लौ
    कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,

    इससे पहले कि फकफका कर
    बुझ जाए ये रिश्ता
    आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
    दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
    ओम आर्य

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