आसमां में कोहरा छा गया
आसमां में जो कोहरा छा गया
आज मौसम का मज़ा आ गया
सर्दी के आने की हुई है आहट
गर्मी से मिल जाएगी अब रहत
होठो पर आयेगी कंपकंपाहट
तन मन में दौड़ेगी झुरझुराहट
पानी में ये कैसा ठंडापन आ गया
आसमां में जो कोहरा छा गया
आज मौसम का मज़ा आ गया
सर्दी में जठराग्नि भी बढ़ जाती है
पल पल में खाने की भूख सताती है
पकवानों की संख्या बढ़ जाती है
जो भी खाओ आंते सब पचाती है
गर्म हलुए पर जी ललचा गया
आसमां में जो कोहरा छा गया
आज मौसम का मज़ा आ गया
सब वाहन की गति रुक जाती है
समय की गति कहाँ रुक पाती है
जहाँ जाओ वही देरी हो जाती है
यह कोहरे को समझ कहाँ आती है
मुहं से भी धुआ बहार भी धुआ छा गया
आसमां में जो कोहरा छा गया
आज मौसम का मज़ा आ गया
सूरज को बल देता है बदल का आना
नव किरण के लिए जरुरी कोहरा छाना
मिलाने के लिए जरुरी है बिछुड़ा जाना
सवेरे के लिए जरुरी है साँझ का आना
कोहरे से जीवन नव संबल पा गया
आसमां में जो कोहरा छा गया
आज मौसम का मज़ा आ गया
विमल कुमार हेडा
कोटा, राजस्थान
यह कविता सिर्फ सरोवर-नदी-सागर, फूल-पत्ते-वृक्ष आसमान की चादर पर टंके चांद-सूरज-तारे का लुभावन संसार ही नहीं, वरन जीवन की हमारी बहुत सी जानी पहचानी, अति साधारण चीजों का संसार भी है।
जवाब देंहटाएंमेरा गीत भी शामिल किया गया इसके लिए नवगीत की पाठशाला को बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार साथ ही सभी पाठको का भी बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंविमल कुमार हेडा
कोहरा का अच्छा चित्रण किया है विमल जी ने पर नवगीत और कविता में अन्तर समझना होगा।
जवाब देंहटाएंहाँ नवगीत की विशेष लय और शैली को पकड़ना चाहिए बाकी सब तो ठीक है। पर उस लय और शैली के अभाव में रचना को नवगीत नहीं कह सकेंगे।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास... कोशिश जरी रखें. अगली बर्र नवगीत के शिल्पगत ढांचें को भी पकड़ें रचना भायी.
जवाब देंहटाएंआसमां में जो कोहरा छा गया
जवाब देंहटाएंआज मौसम का मज़ा आ गया
गर्म हलुए पर जी ललचा गया
आसमां में जो कोहरा छा गया
आज मौसम का मज़ा आ गया
very nice-हलुए का मज़ा आ गया
जो कोहरा छा गया