पंक में खिला कमल
किन्तु है अमल-धवल
बादलों की ओट में से
चाँद झाँकता नवल
डण्ठलों के साथ-साथ
तैरते हैं पात-पात
रश्मियाँ सँवारतीं
प्रसून का सुवर्ण-गात
देखकर अनूप-रूप को
गया हृदय मचल
बादलों की ओट में से
चाँद झाँकता नवल
पंक के सुमन में ही
सरस्वती विराजती
श्वेत कमल पुष्प को
ही शारदे निहारती
पूजता रहूँगा मैं
सदा-सदा चरण-कमल
बादलों की ओट में से
चाँद झाँकता नवल
--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
किन्तु है अमल-धवल
बादलों की ओट में से
चाँद झाँकता नवल
डण्ठलों के साथ-साथ
तैरते हैं पात-पात
रश्मियाँ सँवारतीं
प्रसून का सुवर्ण-गात
देखकर अनूप-रूप को
गया हृदय मचल
बादलों की ओट में से
चाँद झाँकता नवल
पंक के सुमन में ही
सरस्वती विराजती
श्वेत कमल पुष्प को
ही शारदे निहारती
पूजता रहूँगा मैं
सदा-सदा चरण-कमल
बादलों की ओट में से
चाँद झाँकता नवल
--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
सुन्दर अमल-धवल गीत प्रस्तुत किया है ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंपंक में खिला कमल
किन्तु है अमल-धवल
बादलों की ओट में से
चाँद झाँकता नवल
बधाई!
मयंक जी आप की लेखनी का तो कमाल हमेशा की तरह है , बधाई
जवाब देंहटाएंबिल्कुल अपठनीय और गद्यमय होते जा रहे काव्य परिदृश्य पर शास्त्री जी की यह कविता इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि वे कविता की मूलभूत विशेषताओं को प्रयोग के नाम पर छोड़ नहीं देते। उनकी बेहद संश्लिष्ट इस कविता में उपस्थित लयात्मकता इसे दीर्घ जीवन प्रदान करती है ।
जवाब देंहटाएंचाँद झांकता और कमल का खिलना ।
जवाब देंहटाएंविलक्षण ।
बहुत सुन्दर नवगीत ...
जवाब देंहटाएं’बादलों की ओट मे से
जवाब देंहटाएंचांद झांकता कंवल ’
बेषक एक बेबाक अभिव्यक्ति
मयंक जी लाख लाख बधाई।
शस्त्री जी को गीत के लिये बधाई, परिकल्पना उत्सव में श्रेष्ठ कवि घोषित होने की भी बधाई.
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर नवगीत है, अगर "बादलों की ओट में से चाँद झाँकता नवल" की जगह "पंक में खिला कमल किन्तु है अमल धवल" की पुनरावृत्ति की जाय तो मेरे विचार में और सुन्दर हो जाएगा।
जवाब देंहटाएंपंक में खिला कमल
जवाब देंहटाएंकिन्तु है अमल-धवल
बादलों की ओट में से
चाँद झाँकता नवल
सुन्दर रचना शास्त्री जी को बहुत बहुत बधाई।
धन्यवाद
विमल कुमार हेड़ा।
आचार्यत्व की परिचायक रचना. सुमधुर लालित्यपूर्ण... साधुवाद...
जवाब देंहटाएंसुन्दर नवगीत ...
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