6 दिसंबर 2010
१. नया वर्ष कुछ ऐसा हो
नया वर्ष कुछ ऐसा हो
पिछले बरस न जैसा हो
घी में उँगली मुँह में शक्कर
पास पर्स में पैसा हो।
भूल जायें सब कड़बी बातें
पायें नयी नयी सौगातें
नहीं काटना पड़ें वर्ष में
बिन बिजली गर्मी की रातें
कोई घपला और घुटाला
काण्ड न ऐंसा वैसा हो।
बच्चे खुश हों खेलें खायें
रोज सभी विद्यालय जायें
पढ़ें लिखें शुभ आदत सीखें
करें शरारत मौज मनायें
नहीं किसी के भी गड्ढ़े में
गिरने का अंदेशा हो।
स्वस्थ रहें सब वृद्ध सयाने
बच्चे उनका कहना मानें
सेवा में तत्पर हो जायें
आफिस कोर्ट कचहरी थाने
डेंगू और चिकनगुनियां का
अब प्रतिबन्ध हमेशा हो।
--शास्त्री नित्य गोपाल कटारे
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कार्यशाला : १२
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Thank you very much for the thoughts/wishes for the new year.
जवाब देंहटाएंअच्छी और मजेदार रचना
जवाब देंहटाएंअच्छी विषय प्रधान कविता।
जवाब देंहटाएंभूल जायें सब कड़बी बातें
जवाब देंहटाएंपायें नयी नयी सौगातें
नहीं काटना पड़ें वर्ष में
बिन बिजली गर्मी की रातें
कोई घपला और घुटाला
काण्ड न ऐंसा वैसा हो।
नया साल पर प्रथम नवगीत अति सुन्दर पढ़कर आनन्द आ गया, शास्त्री जी को बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद।
विमल कुमार हेड़ा।
अभिनंदन भाई शास्त्री नित्यगोपाल कटारे जी|
जवाब देंहटाएंघी में उँगली मुँह में शक्कर
पास पर्स में पैसा हो।
बिल्कुल आम आदमी के दिल की बात उसी की भाषा में| बधाई|
मजेदार रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंभूल जायें सब कड़बी बातें
जवाब देंहटाएंपायें नयी नयी सौगातें
नहीं काटना पड़ें वर्ष में
बिन बिजली गर्मी की रातें
कोई घपला और घुटाला
काण्ड न ऐंसा वैसा हो।
aap ki abhilasha bhagvan kare puri ho jaye .
achchha likha hai
saader
rachana
नये वर्ष के नये गीत ने मन को हर्षा दिया। जैसे सूखे खेतको बअदलों ने वर्षा दिया। भाई कटारे जी नये गीत के लिये बहुत बहुत बधाई नया वर्ष मंगलमय हो।
जवाब देंहटाएंनया वर्ष कुछ ऐसा हो
जवाब देंहटाएंपिछले बरस न जैसा हो
घी में उँगली मुँह में शक्कर
पास पर्स में पैसा हो।
गुरुवर आपकी पंक्तियों ने मनप्राणों को नई ताजगी व रवानगी से सराबोर कर दिया । बधाई ।
आम आदमी से जुडी सच्चाई
जवाब देंहटाएंमुखरित होकर आपकी रचना में आयी है.....सुखद अनुभूति देती हुई....
आभार और
बधाई आपको कटारे जी...
शुभ कामनाओं सहित
गीता पंडित .
वाह...वाह... बढ़िया गीति रचना.
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