7 मार्च 2011

८. साजन बिना बहार

साजन बिना बहार सखी री
सिसके पनघट,
द्वार सखी री

कुसमित डाली
मन मुरझाये
स्नेह पखेरू उड़ उड़ जाये
फागुन रंगे,
बसंत नहाये
मन कोरा कोरा रह जाये
कहाँ लिखूँ अरमान सखी री

क्या सरहद
पर मेघा छाये ?
सुरभित हवा, उन्हें भरमाये ?
मन की डाली
खिल-खिल जाये
प्रेम पाश बँध साजन आएँ
ऐसी बहे बयार सखी री

कैसी होली
फागुन कैसा
बिना आग के चूल्हे जैसा
निकल रही
रंगों की टोली
उन बिन मेरी हो ली होली
चुभे अबीर गुलाल सखी री
साजन बिना बहार सखी री

--रचना श्रीवास्तव

9 टिप्‍पणियां:

  1. शाबाश रचना जी, लगता है आप पाठशाला की सबसे मेधावी छात्रा हुई जा रही हैं। जिन नए रचनाकारों में प्रगति का ग्राफ सबसे तेजी से ऊपर जा रहा है आप उसमें से एक हैं। लगी रहें। बधाई और शुभ कामनाएँ!! आने वाली कार्यशालाओं में कुछ आधुनिक सरोकारों को भी रचना में शामिल करने का प्रयत्न कीजियेगा।

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  2. वाकई बहुत सुंदर नवगीत है, रचना जी को बहुत बहुत बधाई।

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  3. dhrmendra ji bahut bahut dhnyavad.
    mukta ji mene aap ki aur purnima ji se bahut sikha hai.aap ko geet pasand aaya to meri mahnat safal hui .aap ki baat ka dhayan rakhungi
    dhnyavad
    rachana

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  4. बहुत सुंदर नवगीत है रचना जी बधाई
    अमिता

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  5. इस नवगीत की गीतकारा का नाम टिप्पणियों से मालूम चलता है| निस्संदेह क्वालिटी वाला नवगीत है| कुछ एक बातें शेयर करना चाहूँगा:-

    कहाँ लिखूँ अरमान सखी री.............यहाँ 'अरमान' का तुकान्त मुखड़े और अन्य अंतरों की मिलान से मेल नहीं खा रहा| यदि टाइपिंग मिस्टेक हो तो सुधारने की कृपा करें|

    चुभे अबीर गुलाल सखी री............तुकान्त वाला मामला ऊपर की तरह ही

    इस नवगीत में 'हो ली होली' का प्रयोग बहुत ही रुचिकर तरीके से किया गया है, जिसके लिए अतिरिक्त बधाई की दरकार है|

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  6. मुक्ता जी ने सही कहा है। रचना जी का यह गीत अच्छा बन पड़ा है। बधाई !!

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  7. वाह रचना को तो ढेर सी प्रशंसा मिल गई है बधाई! मेहनत रंग लाई है न ? मुक्ता और नवीन जी की बातों पर ध्यान देना और टिप्पणी आगे से नागरी लिपि में लिखना। ढेर सी शुभ कामनाएँ !!
    --पूर्णिमा वर्मन

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  8. मै मुक्त जी और नवीन जी की बातों का ध्यान रखूंगी
    आप सभी का धन्यवाद
    रचना

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  9. मन प्राणों को तरंगित करने वाले शब्दों की इस सहज और सुगेय गुंफन को हम मंजर भरी अमराई मे अभिनंदन करते हैं और उसके रचनाकार आदरणीया रचनाजी को हार्दिक बधाई देते हैं इस उम्मीद के साथ कि प्रेम के ऐसे ही अनछुए रंगो से वे अनुभूति व उसके पाठकों को बरबस सराबोर करती रहें।

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