समाचार है
अच्छा मौसम आने वाला है
समाचार है
फिर से होने लगा उजाला है
धुप चटकती, इतराती है
छाँव थकी है, सुस्ताती है
तारकोल की महक उडी है
फुलमतिया भी वहीँ खड़ी है
सड़क किनारे
साडी वाला पलना डाला है
दौड़े खूब कचूमर निकला
दफ्तर दफ्तर भागे अगला
चाय पकौड़े दाना, पानी,
टेबल, कुर्सी सब मनमानी
खड़ा द्वार पर
जैसे कोई फेरी वाला है
फिर से छीने गए निवाले
सब के सब थे तकने वाले
आस उगी है ये बेहतर है
शायद उसका मन पत्थर है
या फिर वह
बाहर से गोरा भीतर काला है
-राणा प्रताप सिंह
जम्मू
खूबसूरत नवगीत आर पी| बहुत बहुत बधाई|
जवाब देंहटाएंसड़क किनारे पलना डाला.............
बाहर गोरा भीतर काला.............
चाय पकौड़े दाना पानी ........
बहुत ही सुंदर शब्द चयन और प्रत्यक्ष सम्प्रेषण|
राणा जी को इस सुंदर गीत के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंहम भी उस अच्छे मौसम की आस लगाए हुए हैं!
भगवान हनुमान जयंती पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!
वाह! भाई राणा जी,
जवाब देंहटाएंतारकोल की महक उडी है
फुलमतिया भी वहीँ खड़ी है
सड़क किनारे
साडी वाला पलना डाला है
चित्र उपस्थित कर दिया है आपने
बधाई!
सादर
तारकोल की महक उडी है
जवाब देंहटाएंफुलमतिया भी वहीँ खड़ी है
सड़क किनारे
साडी वाला पलना डाला है
वाह...वाह....
बहुत सुंदर चित्रात्मक प्रस्तुति....
.आभार राणा जी...
अच्छी रचना.
जवाब देंहटाएंक्या खूब लिखा है राणा प्रताप जी आपकी रचनाएँ अच्छी लगती है। पाठशाला में अपनी उपस्थिति बनाए रखें। बधाई और शुभकामनाएँ-गीता पंडित से सहमत हूँ
जवाब देंहटाएंतारकोल की महक उडी है
फुलमतिया भी वहीँ खड़ी है
सड़क किनारे
साडी वाला पलना डाला है
इन पंक्तियों में बहुत सजीव चित्रण हुआ है फुलमतिया का।