खाली पेट
दम तोड़ गए जो
फुटपाथों पर
लेख विधि ने
था लिख क्या बाँचा
उन हाथों पर
समाचार में हमने ढूँढ़ा
दीप द्वारे
धर बाट निहारी
पर रात हुई
चौखट पर
रुक पिंघला था मन
बरसात हुई
अश्रुधार में हमने ढूँढ़ा
नदी तट पर
हम आ पहुँचे थे
विश्वासों पर
बन्दिश मिली
हमको भी अपने
ही साँसों पर
मझधार में हमने ढूँढ़ा
-रामेश्वर कांबोज हिमांशु
(नई दिल्ली)
रचना तो सुंदर है पर गीत जैसा प्रवाह नहीं है। सुंदर रचना के लिए रचनाकार को बधाई।
जवाब देंहटाएंभाव बहुत सुन्दर हैं हिमांशु जी....
जवाब देंहटाएंआभार...
अच्छी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंअच्छे विचार हैं पर नवगीत में जो लयबद्धता और रवानी चाहिये उसकी कुछ कमी लगी।
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