15 जून 2011
१२. टेसू तुम क्यों लाल हुए
टेसू तुम क्यों लाल हुए?
फर्क न कोई तुमको पड़ता
चाहे कोई तुम्हें छुए
आह कुटी की तुम्हें लगी क्या?
उजड़े दीन-गरीब
मीरां को विष, ईसा को
इंसान चढ़ाये सलीब
आदम का आदम ही है क्यों
रहा बिगाड़ नसीब?
नहीं किसी को रोटी
कोई खाए मालपुए
खून बहाया सुर-असुरों ने
ओबामा-ओसामा ने
रिश्ते-नातों चचा-भतीजों ने
भांजों ने, मामा ने
कोशिश करी शांति की हर पल
गीतों, सा रे गा मा ने
नहीं सफलता मिली
'सलिल' पद-मद से दूर हुए
-संजीव सलिल
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कार्यशाला : १६
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आचार्य जी की कलम से निकला एक और सुंदर नवगीत, बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंसलिल जी, बहुत ही बढ़िया कहा है:
जवाब देंहटाएंआदम का आदम ही है क्यों
रहा बिगाड़ नसीब?
नहीं किसी को रोटी
कोई खाए मालपुए
टेसू तुम क्यों लाल हुए?
आचार्य जी को प्रणाम,
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी को नमन, जिससे ऐसी रचना निकलती है.
आदम का आदम ही है क्यों
जवाब देंहटाएंरहा बिगाड़ नसीब?
नहीं किसी को रोटी
कोई खाए मालपुए
बहुत बढ़िया
सुंदर नवगीत
saader
rachana