28 सितंबर 2011

१. शरद परी आई

शरद परी आई

सागर तट पर खेली
किरनो से अठखेली
नदिया के तीर गयी
ताल में नहाई

खिले सब तरफ गुलाब
गमक उठी नयी आब
नाच उठे जीव सभी
तितली मुस्काई

बिखर गया नया रंग
बजा कहीं जलतरंग
धरती के आँगन पर
उत्सव सी छाई

- डॉ. भारतेंदु मिश्र
(नई दिल्ली)

7 टिप्‍पणियां:

  1. आ. भारतेंदु मिश्र जी के सुन्दर गीत के साथ इस शुभारम्भ हेतु बहुत बहुत शुभकामनाएं| कई महीनों से जारी एकरसता से ऊपर उठ कर है यह नवगीत| नवगीत की लयात्मकता और भाव निरूपण दोनों ही मनोहारी हैं|

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  2. शरद परी के आगमन से शुरू हुई पाठशाला का पहला नवगीत बहुत सुन्दर शरद का अहसास दिलाता हुआ है। भारतेन्दु जी को वधाई।

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  3. शरद परी के आगमन से शुरू हुई पाठशाला का पहला नवगीत बहुत सुन्दर शरद का अहसास दिलाता हुआ है। भारतेन्दु जी को वधाई।

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  4. बहुत खूबसूरत प्रकृति चित्रण है इस नवगीत में, भारतेंदु जी को बहुत बहुत बधाई

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  5. सभी मित्रो के प्रति आभार जिन्हे यह गीत अच्छा लगा।

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