15 अक्तूबर 2011

१८. जगमग जोत जले

मन हो रहा प्रफुल्लित
घर में
जगमग जोत जले

आनंदित किलकारी भरती
नव संचित फुलझड़ियों सी
श्याम रात
चम चम करती है
उत्सव वाली लड़ियों सी
स्वप्न सजीले संचित
सुख समृद्धि की ओर चले

सुन्दर शाश्वत हो शृंगार
पूजा की फिर थाल संवार
राम राम नाम
की धुन को रटते
सारी विपदाएँ हों पार
लक्ष्मी चरण हों अंकित
जग से भय ओर क्रोध टले !

-नूतन व्यास
(गुड़गाँव)

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत - बहुत हार्दिक बधाई नूतन जी , बहुत सुंदर नवगीत है

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  2. नूतन जी,
    बहुत सुंदर.
    हार्दिक बधाई.

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  3. स्वप्न सजीले संचित
    सुख समृद्धि की ओर चले
    .. बहुत सुंदर - शुभकामनायें नूतन जी

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  4. राम नम की धुन को रटते ..सारी विपदाएं हों पार ..बहुत अच्छा गीत

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  5. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद !

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  6. सुन्दर शाश्वत हो शृंगार
    पूजा की फिर थाल संवार
    राम राम नाम
    की धुन को रटते
    सारी विपदाएँ हों पार
    लक्ष्मी चरण हों अंकित
    जग से भय ओर क्रोध टले !
    सुंदर गीत
    बधाई
    rachana

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  7. व्यास जी आपको इस गीत के लिये बधाई...

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  8. 'सुन्दर शाश्वत हो शृंगार'... बहुत खूब...

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