द्वार रंगोली दीप कतार
छाया घर-घर में उजियार
खुशियों की सरगम से गुंजित
नवल वस्त्र आभूषण सज्जित
उल्लासित मन नाच रहे हैं
नया गीत है आई बहार
हर मुख पर मुस्कान खिली है
हर दिल में फुलझड़ी जली है
खील मिठाई लक्ष्मीपूजन
द्वार सजे हैं बंदनवार
अक्षत बहना लिए खड़ी है
भाई दूज की आई घडी है
इस रोली के मधुर चिह्न में
बहना का है प्यार अपार
--अरुणा सक्सेना
(दिल्ली)
छाया घर-घर में उजियार
खुशियों की सरगम से गुंजित
नवल वस्त्र आभूषण सज्जित
उल्लासित मन नाच रहे हैं
नया गीत है आई बहार
हर मुख पर मुस्कान खिली है
हर दिल में फुलझड़ी जली है
खील मिठाई लक्ष्मीपूजन
द्वार सजे हैं बंदनवार
अक्षत बहना लिए खड़ी है
भाई दूज की आई घडी है
इस रोली के मधुर चिह्न में
बहना का है प्यार अपार
--अरुणा सक्सेना
(दिल्ली)
अरूणा जी !
जवाब देंहटाएंनवगीत की सम्पूर्ण रचना प्रक्रिया से गुजरते हुये इस गीत को देखना और इस पल इसके इस सुंदर स्वरूप का आनंद .. अद्भुत ! विशेषकर यह पंक्तियां बहुत सुंदर प्रतीत हुयी
नवल वस्त्र आभूषण सज्जित
उल्लासित मन नाच रहे हैं
नया गीत है आई बहार
बधाई
अरुणा जी आपको हार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत .....दीपावली से भैया दूज तक खुशियाँ ही खुशियाँ
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत बधाई अरुणा जी
संध्याजी , प्रीतिजी और श्रीकांतजी आप का आभार और श्रीकांतजी ये पंक्तियाँ पूर्णिमाजी का मार्ग दर्शन है में तो उन्ही की छात्र - छाया में हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अरुणा जी, बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद धर्मेन्द्र जी .....
हटाएंअरुणा जी!
जवाब देंहटाएंबधाई इस सरस गीत के लिए... एक बार गीत और नवगीत के अंतर पर दृष्टिपात कर लें... नवगीत के लिए बिम्ब, प्रतीक और शब्द चयन में कुछ परिवर्तन आप स्वयं कर सकेंगी.
धन्यवाद आचार्य जी ........
हटाएंधर्मेन्द्र जी , आचार्य जी आप लोगो का हार्दिक आभार .........
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder geet......
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