15 दिसंबर 2011
१५. एक और साल
लो बीत चला एक और साल
अपनों की
प्रीत निभाता सा
कुछ चमक–दमक बिखराता सा
कुछ बारूदों में उड़ता सा
कुछ गलियारों में
कुढ़ता सा
हम पात पात वह डाल डाल
लो बीत चला एक और साल
कुछ नारों
में खोया खोया
कुछ दुर्घटनाओं में रोया
कुछ गुमसुम और उदासा सा
दो पल हँसने को
प्यासा सा
थोड़ी खुशियाँ ज्यादा मलाल
लो बीत चला एक और साल
भूकंपों
में घबराया सा
कुछ बेसुध लुटा लुटाया सा
घटता गरीब के दामन सा
फटता आकाश
दावानल सा
कुछ फूल बिछा कुछ दीप बाल
लो बीत चला एक और साल
कुछ शहर-
शहर चिल्लाता सा
कुछ गाँव गाँव में गाता सा
कुछ कहता कुछ समझाता सा
अपनी बेबसी
बताता सा
भीगी आँखें हिलता रुमाल
लो बीत चला एक और साल
-पूर्णिमा वर्मन
शारजाह, संयुक्त अरब इमारात से
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कार्यशाला : १९
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बहुत ही खूबसूरत नवगीत है, पूर्णिमा जी को बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंकुछ शहर-
जवाब देंहटाएंशहर चिल्लाता सा
कुछ गाँव गाँव में गाता सा
कुछ कहता कुछ समझाता सा
अपनी बेबसी
बताता सा
भीगी आँखें हिलता रुमाल
लो बीत चला एक और साल बहुत सुंदर सटीक अभिव्यक्ति प्रभुदयाल
अपनों की
जवाब देंहटाएंप्रीत निभाता सा
कुछ चमक–दमक बिखराता सा
कुछ बारूदों में उड़ता सा
कुछ गलियारों में
कुढ़ता सा
हम पात पात वह डाल डाल
लो बीत चला एक और साल
प्रभावी पंक्तियाँ सुंदर भाव लिए
सादर
रचना
वाह पूर्णिमाजी बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंमन को भया गया आपका यह सलोना और प्यारा सा
नवगीत.
कुछ नारों
जवाब देंहटाएंमें खोया खोया
कुछ दुर्घटनाओं में रोया
कुछ गुमसुम और उदासा सा
दो पल हँसने को
प्यासा सा
थोड़ी खुशियाँ ज्यादा मलाल
लो बीत चला एक और साल
सुन्दर अभिव्यक्ति ' एक भावपूर्ण रचना के लिये पूर्णिमा जी को बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद।
विमल कुमार हेड़ा।
पूर्णिमा जी,
जवाब देंहटाएंविगत से संवाद करता गीत यह
सच सुखद है
और अद्भुत है कहन इसकी!
साधुवाद स्वीकारें और नमन भीI
भूकंपों
जवाब देंहटाएंमें घबराया सा
कुछ बेसुध लुटा लुटाया सा
घटता गरीब के दामन सा
फटता आकाश
दावानल सा
कुछ फूल बिछा कुछ दीप बाल
लो बीत चला एक और साल
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
नहीं अतिशयोक्ति
अंतर्मन का संगीत
सुंदर नवगीत
बधाई स्वीकार हो।-आकुल
'लो बीत चला एक और साल'- इस बहुत सुन्दर गीत हेतु मेरी बधाई स्वीकारें!
जवाब देंहटाएंअपनों की
जवाब देंहटाएंप्रीत निभाता सा
कुछ चमक–दमक बिखराता सा
कुछ बारूदों में उड़ता सा
कुछ गलियारों में
कुढ़ता सा
हम पात पात वह डाल डाल
लो बीत चला एक और साल
-- सुन्दर पंक्तियाँ तथा एक भावपूर्ण सुन्दर रचना के लिए पूर्णिमा जी को बधाई !