26 दिसंबर 2011

२६. नव वर्ष


चालक- पथ की
जीवन रथ की
लेकर नव भाषाएँ
आया है
नव वर्ष हमारा
जागीं सब आशाएँ

नये रंगों से
रंगी ज़िन्दगी
रंगोली-सी सोहे
सात सुरों से
सजा केशियो
जैसे तन-मन मोहे
चलो समय का
पहिया घूमा
बदलीं परिभाषाएँ!

फूल-फूल में
प्रेम बढ़ेगा
महकेगी फुलवारी
धूप-चाँदनी,
बरखे बरखा
लहकेगी हर क्यारी
झोली में
सबके फल होंगे-
पूरी अभिलाषाएँ!

--अवनीश सिंह चौहान

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर नवगीत है अवनीश जी का, उन्हें बहुत बहुत बधाई

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  2. कोमल शब्द योजना कोमल भाव से संसिक्त नव गीत .बधाई .नव वर्ष मंगल मय हो .

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  3. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-741:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  4. भाई अवनीश सिंह चौहान को हार्दिक बधाई उनके इस श्रेष्ठ नवगीत के लिए| नवगीत पाठशाला-१९ की समापन रचना के रूप में इसकी प्रस्तुति हेतु 'अभिव्यक्ति' परिवार को भी बधाई!

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  5. समय का
    पहिया घूमा
    बदलीं परिभाषाएँ

    बहुत सुंदर

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  6. चलो समय का पहिया घूमा अतः अभिलाषाओं का पूरा होना सच्ची भविष्य वाणी करना नाव गीत को नई पहिचान देता है .पुर गीत का आशावादी द्रष्टिकोण कवि के नये सोच का आईना है बहुत खूब एसा ही और और लिखें
    डाक्टर जयजयराम
    सैंट जॉन कनाडा

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  7. विमल कुमार हेड़ा।5 जनवरी 2012 को 12:38 pm बजे

    फूल-फूल में
    प्रेम बढ़ेगा
    महकेगी फुलवारी
    धूप-चाँदनी,
    बरखे बरखा
    लहकेगी हर क्यारी
    झोली में
    सबके फल होंगे-
    पूरी अभिलाषाएँ!
    सुन्दर रचना एवं बहुत ही सुन्दर विचार, अवनीश जी को बहुत बहुत बधाई।
    धन्यवाद।
    विमल कुमार हेड़ा।

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