25 दिसंबर 2011

२४. एक तरीका नव वर्ष मनाने का

यह भी
एक तरीका है
नववर्ष मनाने का

व्यूह धुंध का -
उसमें पैठो
खोजो सूरज को
छिपा आँख में बच्चे की
देखो उस अचरज को

एक पुण्य
यह करो
नदी में दीप सिराने का

ओस पड़ी जो पत्तों पर
उससे आँखें आँजो
यादें जो मिठबोली
उनको साँसों में साजो

सीखो गुर
कबिरा से
मन के ताने-बाने का

मीनारों के जंगल में भी
धूप भरो थोड़ी
उस पोथी को भी बाँचो
जो बाबा ने छोड़ी

बाँटो सबमें
जो प्रसाद है
दाख-मखाने का

-- कुमार रवीन्द्र
हिसार

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर नवगीत है कुमार रवींद्र जी का, बहुत बहुत बधाई उन्हें

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  2. सीखो गुर
    कबिरा से
    मन के ताने-बाने का

    मीनारों के जंगल में भी
    धूप भरो थोड़ी
    उस पोथी को भी बाँचो
    जो बाबा ने छोड़ी Bahut sundar abhivyakti

    बाँटो सबमें
    जो प्रसाद है
    दाख-मखाने का

    जवाब देंहटाएं
  3. नववर्ष दाख-मखाने का प्रसाद

    सब बहुत सुंदर!

    जवाब देंहटाएं

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