बादलों की धुंध में मुस्काए
सूरज
खोल गगन के द्वार
धरा पर आए
गुनगुनाए धूप
आए स्वेटर सा आराम
अब तो भैया मस्ती में हों
अपने सारे काम
बाँध गठरिया आलस भागे
ट्रेन-टिकट कटाए
देखो
बादलों की धुंध में
शरमाए
अधमुंदे नयनों को खोले
सोया सोया गाँव
किरणें द्वार द्वार पर डोलें
नंगे नंगे पाँव
मधुर मधुर मुस्काती अम्मा
गुड़ का पाग पकाए
हौले
बादलों की धुंध में
कुछ गाए
--रचना श्रीवास्तव
यू.एस.ए. से
achcha geet hai ,sheet ritu me sooraj svetar jaisa hi lagata hai
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
वाह बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंगुनगुनाए धूप,आए स्वेटर सा आराम
जवाब देंहटाएंअब तो भैया मस्ती में हों,अपने सारे काम
बहुत सुन्दर, रचना जी को बहुत बहुत बधाई,
धन्यवाद
विमल कुमार हेड़ा।
गुनगुनाए धूप
जवाब देंहटाएंआए स्वेटर सा आराम
अब तो भैया मस्ती में हों
अपने सारे काम
बाँध गठरिया आलस भागे
ट्रेन-टिकट कटाए
-बहुत खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति रचना जी । शब्दों क लालित्य माधुर्य घोल रहा है ।
इस सुंदर नवगीत के लिए बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंमुस्काए सूरज.सुंदर,बहुत बढ़िया.
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