![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg0ws7P9sDMi0pLhPT4KFQ3AZxyfnDG9QCbloO64SiXcQvQBSTLV_BBgipwgKnRNufFBCmgCqOaKE0M179aXHxVdESbJRBGcEzE9LfKbobcvGD2cYJsG0pXVrlcFk9NmH1I7LhrP637kGc/s200/sankranti.jpg)
समीक्षा के लिये प्रत्येक कार्यशाला के लिये अलग समीक्षक का चुनाव किया जाता है। कभी समीक्षक का सहयोग मिलते है और कभी नहीं भी मिलती। नहीं मिलने के बहुत से कारण होते हैं जिनमें प्रमुख है समीक्षक का इंटरनेट से ठीक से जुड़ाव न होना और ब्लाग तकनीक को ठीक से समझ न पाना। अचानक व्यस्तता एक और कारण है। जिसके कारण इस बार की समीक्षात्मक टिप्पणी प्रकाशित करने में देर हो रही है। इस बार के नवगीतों पर टिप्पणी करेंगे डॉ. अश्विनी कुमार विष्णु। वे स्वयं नवगीतकार है, विभिन्न भाषाओं एवं विधाओं के साथ जुड़े हुए हैं। हर रचना में गहरे पैठकर उसकी खूबियों को सामने लाने और कमियों को उजागर करने का उनका कौशल हमारे रचनाकारों को खूब रुचेगा।
आशा है कि २५ फरवरी तक डॉ. अश्विनी की समीक्षा हमें मिल जाएगी। मिलते ही उसे प्रकाशित कर देंगे साथ ही नए विषय की घोषणा भी हो जाएगी। तब तक थोड़ी सी प्रतीक्षा....
बहुत सुंदर प्रयास ..
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ....
.शुक्रिया इस पोस्ट के लिए .समीक्षक की कलम प्रतीक्षित रहेगी .
जवाब देंहटाएंपूर्णिमा जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार,
कार्यशाला 20 के लिये मैंने भी एक गीत भेजा जो प्रकाशित नहीं हुआ कृपया कहीं कमी रही हो तो बतायें जिसे अगली बार सुधारा जा सके।
धन्यवाद।
विमल कुमार हेड़ा।