बहुत कुछ खोकर मिले
उपलब्धियों के ये शिखर
गाँव छूटा
परिजनों से दूर
ले आई डगर
खो गयी अमराइयाँ
परिहास की
वे दोपहर
मार्ग में आँखें बिछाए
है विकल सा वृद्ध घर
हर तरफ
मुस्कान फीकी
औपचारिकता मिली
धरा बदली
कली मन की
है अभी तक अधखिली
कभी स्मृतियाँ जगातीं
बात करतीं रात भर
भावनाओं की गली में
मौन के
पहरे लगे हैं
भोर सी बातें नहीं
बस स्वार्थ के ही
रतजगे हैं
चंद सिक्के बहुत भारी
जिंदगी के गीत पर
--त्रिलोक सिंह ठकुरेला
माउंट आबू
उपलब्धियों के ये शिखर
गाँव छूटा
परिजनों से दूर
ले आई डगर
खो गयी अमराइयाँ
परिहास की
वे दोपहर
मार्ग में आँखें बिछाए
है विकल सा वृद्ध घर
हर तरफ
मुस्कान फीकी
औपचारिकता मिली
धरा बदली
कली मन की
है अभी तक अधखिली
कभी स्मृतियाँ जगातीं
बात करतीं रात भर
भावनाओं की गली में
मौन के
पहरे लगे हैं
भोर सी बातें नहीं
बस स्वार्थ के ही
रतजगे हैं
चंद सिक्के बहुत भारी
जिंदगी के गीत पर
--त्रिलोक सिंह ठकुरेला
माउंट आबू
खो गयी अमराइयाँ
जवाब देंहटाएंपरिहास की
वे दोपहर
मार्ग में आँखें बिछाए
है विकल सा वृद्ध घर
मन को छू गया नवगीत
ठकुरेला जी की जानदार लेखनी से निकला एक और शानदार नवगीत। बहुत बहुत बधाई ठकुरेला जी को।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद भाई त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी को इस बहुत अच्छे नवगीत के लिए| हमारे आज के महानगरीय पदार्थ-उपलब्धियों तक सीमित परिवेश पर गीत की समापन पंक्ति 'चंद सिक्के बहुत भारी/जिंदगी के गीत पर'बहुत ही सटीक टिप्पणी करती है| यह एक पंक्ति ही इस गीत को अनूठा बना गई है|
जवाब देंहटाएंआज के जीवन मेँ भौतिक उपलब्धियां ही सब कुछ हो गई है ।
जवाब देंहटाएंसंवेदनहीनता को उकेरते नवगीत के लिए ठकुरेला जी को बधाई ।
आपकी इस रचना में आज का कड़वा सच उजागार हुआ है,बहुत अच्छा सन्देश दे रही है ये रचना....इस के लिए आपको बहुत बहुत बधाई :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कसावटयुक्त नवगीत है, वधाई ठकुरेला जी को इस सुन्दर नवगीत के लिए।
जवाब देंहटाएं"चन्द सिक्के बहुत भारी
जिन्दगी के गीत पर"
क्या कहने इन पंक्तियों के, संघर्षरत आम आदमी की विवशता को एक सटीक शब्द दे दिए हैं।
बहुत कुछ खो कर मिले
जवाब देंहटाएंउपलब्धियों के ये शिखर. ..
भौतिक सुविधाओं के तथाकथित सुख के बदले बहुत कुछ गंवाने की टीस बहुत सालती है.
मार्ग में आँखें बिछाए
है विकल सा वृद्ध घर.....
कभी स्म्रतियां जगाती
बात करतीं रात भर. ...
बहुत खूब. सुन्दर नवगीत ठकुरेला जी का.
एक सशक्त नवगीत | गुणीजनों ने अपने विचार दे ही दिए हैं | हमारे लिए प्रेरक रचना |
जवाब देंहटाएंशशि जी से पूरी त्राह सहमत। अति सुंदर नवगीत के लिए हार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंचंद सिक्के बहुत भारी
जवाब देंहटाएंजिंदगी के गीत पर
..बहुत ही सार्थक केन्द्रीय भाव. सुन्दर नवगीत के लिये बधाई.
प्रतिक्रिया और स्नेह के लिए आप सभी का बहुत बहुत आभारी हूँ.
जवाब देंहटाएं----- त्रिलोक सिंह ठकुरेला