खिलखिलाती
सिसकियों का हर तरफ ही शोर है
भीड़ में तन्हाइयों की भीड़
चारों ओर है
ये कहाँ हैं हम ?
क्या यही थे हम ?
छू रहा
मानव सफलता के चमकते नव शिखर
प्रकृत नियमों को विकृत करता ये कैसा है सफर
है सभी कुछ पर अधूरी,
हर निशा हर भोर है
ये कहाँ हैं हम ?
क्या यही थे हम ?
कितनी परतों
में दबा है आज का ये आदमी
अब कहाँ किरदार सच्चे अनृत की है तह जमी
स्वार्थ आरी नेह बंधन,
कर रहीं कमज़ोर हैं
ये कहाँ हैं हम ?
क्या यही थे हम ?
है धुआँ
आँखों में रिश्तों की सुलगती आह का
टूटते अनुबंधों का और टिमटिमाती चाह का
उच्चाकांक्षा की चमक में,
तिमिर ही घनघोर है
ये कहाँ हैं हम ?
क्या यही थे हम ?
सीमा अग्रवाल
कोरबा, छत्तीसगढ़
अति सुंदर और सशक्त नवगीत के लिए सीमा जी,हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंखिलखिलाती सिसकियाँ .....भीड़ में तन्हाइयों की भीड़ ...कितना सुन्दर आगाज़ ....
जवाब देंहटाएंउच्चाकांक्षा की चमक में,
तिमिर ही घनघोर है...ऊंचाईयों पर चढ़ते समय बहुत कुछ नीचे छूटने की टीस का गहरा एहसास इन पंक्तियों में ...निश्चित रूप से बधाई की पात्र है आप सीमा जी
बहुत सुंदर नवगीत, सीमा जी को बधाई
जवाब देंहटाएंभीड़ मेँ तन्हाइयों की भीड़
जवाब देंहटाएंचारोँ ओर है....
कुछ सोचनेँ को विवश करते, बहत सुन्दर नवगीत के लिए सीमा जी को बधाई ।
कितनी परतों
जवाब देंहटाएंमें दबा है आज का ये आदमी
अब कहाँ किरदार सच्चे अनृत की है तह जमी
स्वार्थ आरी नेह बंधन,
कर रहीं कमज़ोर हैं
बहुत ही सार्थक. पुष्ट नवगीत के लिये बधाई सीमा जी.
खिलखिलाती
जवाब देंहटाएंसिसकियों का हर तरफ ही शोर है.
भीड़ में तन्हाइयों की भीड़
चारों और है.
नवगीत का मुखड़ा बहुत सारगर्भित है, खिलखिलाती सिसकियाँ....क्या बात है. स्वार्थपरता का चरम और उच्चाकांक्षा की दौड़ का सुन्दर वर्णन है. एक सुन्दर नवगीत सीमा जी.
खिलखिलाती सिसकियाँ ..,..और ..भीड़ में तन्हाइयों की भीड़ ..बहुत सुन्दर आगाज़ के साथ गीत अंत तक
जवाब देंहटाएंउच्चाकांक्षा की चमक में,
तिमिर ही घनघोर है
कितनी सुंदरता से गहन भाव सम्प्रेषित हुआ .....सीमा जी को शुभकामनाएं
Mumbai wali Seema ji ka geet bahut accha laga. Hindi mein kahaan se type karoon? Jab koi bataa dega to aglee baar Hindi mein hee karoonga.
जवाब देंहटाएंसीमाजी प्रत्येक शब्द सत्य का प्रतिबिम्ब दिखता है एक सुन्दर उत्तम नवगीत बधाई बधाई बहुत बहुत बधाई
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