जगमग झालर दिये
सभी ने बिगड़ी बात बना ली
चमक उठी नटखट बच्चों की
आँखों में दीवाली
भोले
उल्लासों से जैसे हिला मिला लगता था
आज सुबह का सूरज कितना खिला खिला लगता था
साँझ ढले खिल गयी दियों में
सूरज की वह लाली
चकरी है
अनार भी है, है बम राकेट चटाई
नकली गन से ही मुन्नू ने कितनी धूम मचाई
देख फुलझड़ी छोटी गुड़िया
बजा रही है ताली
विधि विधान
से श्रद्धा से सबकी पूजा पाती है
आँगन में लक्ष्मी गणेश की मूरत मुस्काती है
अम्मा के हाथों में सजती है
पूजा की थाली
– रवि शंकर मिश्र रवि
सभी ने बिगड़ी बात बना ली
चमक उठी नटखट बच्चों की
आँखों में दीवाली
भोले
उल्लासों से जैसे हिला मिला लगता था
आज सुबह का सूरज कितना खिला खिला लगता था
साँझ ढले खिल गयी दियों में
सूरज की वह लाली
चकरी है
अनार भी है, है बम राकेट चटाई
नकली गन से ही मुन्नू ने कितनी धूम मचाई
देख फुलझड़ी छोटी गुड़िया
बजा रही है ताली
विधि विधान
से श्रद्धा से सबकी पूजा पाती है
आँगन में लक्ष्मी गणेश की मूरत मुस्काती है
अम्मा के हाथों में सजती है
पूजा की थाली
– रवि शंकर मिश्र रवि
साँझ ढले खिल गयी दियों में
जवाब देंहटाएंसूरज की वह लाली
बहुत सुंदर कल्पना मिश्रजी। सुंदर नवगीत के लिए बधाई।
आभार आकुल जी
हटाएंसुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता जी
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार संजय जी
हटाएंati sundar rachna.
जवाब देंहटाएंआभार राम किशोर जी
हटाएंbahut hi achchhi rachna hai.
जवाब देंहटाएंअम्मा के हाथोँ से सजती है
जवाब देंहटाएंपूजा की थाली ।
सुन्दर नवगीत के लिए रविशंकर जी को बधाई ।
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार सुरेन्द्रपाल जी
हटाएंसुंदर नवगीत के लिए रविशंकर जी को बधाई
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार धर्मेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नवगीत । बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर नवगीत के लिए बधाई रविशंकर जी
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