चुभे नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !
रहें हरे बौर भरे
बगियों के आम
गूलर वट पीपल
रहें नित अभिराम
मरू-पठार महकाएँ
ऋतुएँ ललाम
छले नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !
रोज़ के मजूर
और भूमिधर किसान
ऑफिसों में
कार्यलीन सेवक सुजान
अलग-अलग
खेमों के चिंतित विद्वान
खले नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !
दही-मथती चूड़ियाँ
हँसें हरेक भोर
रंग-बिरंगे आँचल हों
सावन के मोर
पायलों की धुन छीने
नहीं कुटिल शोर
दुखे नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !
--अश्विनी कुमार विष्णु
शुभकामनाएँ !
रहें हरे बौर भरे
बगियों के आम
गूलर वट पीपल
रहें नित अभिराम
मरू-पठार महकाएँ
ऋतुएँ ललाम
छले नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !
रोज़ के मजूर
और भूमिधर किसान
ऑफिसों में
कार्यलीन सेवक सुजान
अलग-अलग
खेमों के चिंतित विद्वान
खले नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !
दही-मथती चूड़ियाँ
हँसें हरेक भोर
रंग-बिरंगे आँचल हों
सावन के मोर
पायलों की धुन छीने
नहीं कुटिल शोर
दुखे नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !
--अश्विनी कुमार विष्णु
दही-मथती चूड़ियाँ
जवाब देंहटाएंहँसें हरेक भोर
रंग-बिरंगे आँचल हों
सावन के मोर
पायलों की धुन छीने
नहीं कुटिल शोर
अश्विनी जी आपकी शुभकामनाएँ ईश्वर को अवश्य कबूल होंगी। सुंदर
नवगीत के लिए हार्दिक बधाई।
नए वर्ष का सुन्दर सन्देश प्रेषित करता नवगीत । अश्विनी जी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंअश्विनी जी को अच्छे नवगीत के लिए बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएं