24 दिसंबर 2012

१३. शुभकामनाएँ

चुभे नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !

रहें हरे बौर भरे
बगियों के आम
गूलर वट पीपल
रहें नित अभिराम
मरू-पठार महकाएँ
ऋतुएँ ललाम

छले नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !

रोज़ के मजूर
और भूमिधर किसान
ऑफिसों में
कार्यलीन सेवक सुजान
अलग-अलग
खेमों के चिंतित विद्वान

खले नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !

दही-मथती चूड़ियाँ
हँसें हरेक भोर
रंग-बिरंगे आँचल हों
सावन के मोर
पायलों की धुन छीने
नहीं कुटिल शोर

दुखे नहीं किसी को नया बरस
शुभकामनाएँ !

--अश्विनी कुमार विष्णु

3 टिप्‍पणियां:

  1. दही-मथती चूड़ियाँ
    हँसें हरेक भोर
    रंग-बिरंगे आँचल हों
    सावन के मोर
    पायलों की धुन छीने
    नहीं कुटिल शोर

    अश्विनी जी आपकी शुभकामनाएँ ईश्वर को अवश्य कबूल होंगी। सुंदर
    नवगीत के लिए हार्दिक बधाई।

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  2. नए वर्ष का सुन्दर सन्देश प्रेषित करता नवगीत । अश्विनी जी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  3. अश्विनी जी को अच्छे नवगीत के लिए बहुत बहुत बधाई

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