१४. आगम नूतन वर्ष का
आगम नूतन वर्ष का
हर दिन पावन हो
आलक्तक रंजित पावों से
आए उषा की लाली
खुशियों से सुरभित हो जाए
मन की हर इक डाली
सभी सुखी हों,
सभी स्वस्थ हों
प्रमुदित आँगन हो
दूर निराशा के घेरों से
जन-मानस हो जाए
शांति-बंधुता बनी रहे
सुख का पावस हरषाए
दुःख के दूर
प्रभंजन हों
मुकुलित आनन हो
--विजय पुष्पम पाठक
विश्व-भर के लिए शांति-बंधुता, आशापूर्ण भविष्य, सुख-स्वास्थ्य की मंगलमय कामना से आलोकित सुन्दर नवगीत ! हार्दिक बधाई विजय पुष्पम जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावनापूर्ण नवगीत के लिए विजय जी को बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर नवगीत के लिए हार्दिक बधाई विजय जी ।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना के लिए विजय जी को बधाई
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