हाँ, चमत्कारी
सुबह यह
वर्ष की पहली किरण का मंत्र लाई
रात पिछवाड़े ढली
आगे खड़े सोनल उजाले
साँस भी तो दे रही है
नये सपनों के हवाले
धूप ने भी लो
सुनहले
कामवाली मखमली
जाजम बिछाई
वक्त ने ली एक करवट और
मौसम हुआ कोंपल
उधर दिन संतूर की धुन
इधर वंशी झील का जल
और चिड़ियों की
चहक ने
चीड़वन की छाँव में
नौबत बिठाई
काश ! यह सपना हमारा
हो सभी का -
दिन धुले हों
आँख जलसाघर बने
हर ओर दरवाजे खुले हों
आरती की धुन
नमाज़ी की पुकारें साथ दोनों
दें सुनाई
--कुमार रवीन्द्र
सुबह यह
वर्ष की पहली किरण का मंत्र लाई
रात पिछवाड़े ढली
आगे खड़े सोनल उजाले
साँस भी तो दे रही है
नये सपनों के हवाले
धूप ने भी लो
सुनहले
कामवाली मखमली
जाजम बिछाई
वक्त ने ली एक करवट और
मौसम हुआ कोंपल
उधर दिन संतूर की धुन
इधर वंशी झील का जल
और चिड़ियों की
चहक ने
चीड़वन की छाँव में
नौबत बिठाई
काश ! यह सपना हमारा
हो सभी का -
दिन धुले हों
आँख जलसाघर बने
हर ओर दरवाजे खुले हों
आरती की धुन
नमाज़ी की पुकारें साथ दोनों
दें सुनाई
--कुमार रवीन्द्र
मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
जवाब देंहटाएंआस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।
बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।
रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।
बहुत सुंदर नवगीत है कुमार रवींद्र जी का। उन्हें बहुत बहुत बधाई और नमन।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंहाँ, चमत्कारी
जवाब देंहटाएंसुबह यह
वर्ष की पहली किरण का मंत्र लाई
रात पिछवाड़े ढली
आगे खड़े सोनल उजाले
साँस भी तो दे रही है
नये सपनों के हवाले
धूप ने भी लो
सुनहले
कामवाली मखमली
जाजम बिछाई
ताज़े ,ततके बिम्बों और प्रतीकों से सजा हुआ एक सुन्दर नवगीत |सर आपके साथ -साथ नवगीत की पाठशाला को भी बधाई |आभार
aakh jalsaghar bane har or darbaje khule ho ...bahut sundar
जवाब देंहटाएंaakh jalsaghar bane har or darbaje khule ho ...bahut sundar
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