30 अप्रैल 2013

कार्यशाला- २७ पेड़ नीम का छाया वाला



चैत्र जैसे जैसे आगे बढ़ रहा है नीम की हरी पत्तियों में सफेद फूलों की भरमार हो रही है। जल्दी ही ये फूल झरने लगेंगे और फगुनाहट के साथ हवा में तैरते नजर आएँगे और शाखों में निबौलियाँ भरने लगेंगी। भारतीय जन जीवन में जिन पेड़ों का महत्वपूर्ण स्थान है उसमें नीम अपना विशेष सम्मान रखता है। लोक गीतों से लेकर लोक पर्वों व तीज त्योहारों तक में उसकी उपस्थिति है, दैनिक जीवन में तो है ही। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए इस बार नवगीत का विषय है - पेड़ नीम का छाया वाला। ध्यान यह रखना है कि नवगीत जीवन से जुड़ा हो और उसमें शीर्षक वाले वाक्यांश का प्रयोग न हुआ हो क्यों कि यह पहले से ही किसी नवगीत का मुखड़ा है। नवगीत भेजने की अंतिम तिथि है १० मई लेकिन रचनाओं का प्रकाशन पर्याप्त रचनाएँ मिलते ही प्रारंभ हो जाएगा। पता वही है- navgeetkipathshala@gmail.com

एक आग्रह विशेष रूप से है-
कार्यशाला से चुनी गई रचनाओं को अनुभूति के नीम विशेषांक में प्रकाशित किया जाएगा, इसलिये इस कार्यशाला में भेजी गई रचनाओं को निजी ब्लॉग्स, फेसबुक, ऑर्कुट सहित किसी सोशल नेटवर्किंग साइट अथवा वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिये। यदि रचनाकार चाहें तो ३ जून के बाद इन्हें अपने व्यक्तिगत ब्लाग पर प्रकाशित कर सकते हैं।
(टीम नवगीत की पाठशाला)

3 टिप्‍पणियां:

  1. कसैली नीम ..मीठी निबौरी ....बढ़िया विषय ......सुंदर नवगीतों की प्रतीक्षा ......!!

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  2. नये नवगीतों के लिये उत्सुकता बढ़ती जा रही है।

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  3. People should plant fruit trees for the birds and wild life.

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