दफ्तर की छुट्टी ले
चलो चले गाँव.
ओढें फिर निम्बिया की
हरी हरी छाँव
छोड़ छाड़
सुविधा के मखमल गलीचे
अंतहीन भाग-दौड़ गुणा-भाग पीछे
छुप्पमछुपाई करें शाखों के नीचे
मौजों की गैया के खोल
दे गिरांव
नकफुसरी
सुधियों को धोएँ नहलायें
टूथपेस्ट छोड़ आज दातुन चबायें
छाल घिसें मुन्नी के घाव पर लगायें
बीने निंबौली जो गिरी
ठाँव ठाँव
पत्तों
टहनियों से बातें पुरानी
सवा सेर गेहूँ में खटती जवानी
पूँछें कि टपका क्यों आँखों से पानी
कैसे सहो एकाकी मौसम
के दाँव
रामशंकर वर्मा
(लखनऊ)
चलो चले गाँव.
ओढें फिर निम्बिया की
हरी हरी छाँव
छोड़ छाड़
सुविधा के मखमल गलीचे
अंतहीन भाग-दौड़ गुणा-भाग पीछे
छुप्पमछुपाई करें शाखों के नीचे
मौजों की गैया के खोल
दे गिरांव
नकफुसरी
सुधियों को धोएँ नहलायें
टूथपेस्ट छोड़ आज दातुन चबायें
छाल घिसें मुन्नी के घाव पर लगायें
बीने निंबौली जो गिरी
ठाँव ठाँव
पत्तों
टहनियों से बातें पुरानी
सवा सेर गेहूँ में खटती जवानी
पूँछें कि टपका क्यों आँखों से पानी
कैसे सहो एकाकी मौसम
के दाँव
रामशंकर वर्मा
(लखनऊ)
जवाब देंहटाएंपत्तों
टहनियों से बातें पुरानी
सवा सेर गेहूँ में खटती जवानी
पूँछें कि टपका क्यों आँखों से पानी
बहुत सुन्दर नवगीत !
आभार बंधुवर.
हटाएंप्रोत्साहन के लिए आभार बंधुवर.
हटाएंमौजों की गैया के खोल
जवाब देंहटाएंदे गिरांव
सुधियों को धोएँ नहलायें
पत्तों
टहनियों से बातें पुरानी ...
वाह .... बहुत सुन्दर गीत
हार्दिक आभार कृष्णनंदन जी.
हटाएंनीम एक वृक्ष से बढ़कर भी हमारी जीवन शैली और संस्कृति का अभिन्न अंग है।
जवाब देंहटाएंसून्दर भाव और स्मृतियोँ भें झांकता नवगीत।
हार्दिक बधाई रामशंकर जी।
नवगीत का मर्म उद्घाटित करने के लिए ह्रदय से आभार सुरेन्द्रपाल जी.
हटाएंवाह वाह! हर अंतरा लाजवाब
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई राम शंकर जी...
स्नेह के लिए आभारी हूँ कल्पना जी.
हटाएंछोड़ छाड़
जवाब देंहटाएंसुविधा के मखमल गलीचे
अंतहीन भाग-दौड़ गुणा-भाग पीछे
छुप्पमछुपाई करें शाखों के नीचे
मौजों की गैया के खोल
दे गिरांव .........बहुत सुन्दर अभिलाषा ज़ाहिर की है इन पंक्तियों में ...सच में ही मन गिनतियों की आवाज़ के साथ छुपने को दौड़ पड़ रहा सा लगता है .....सुन्दर गीत मिट्टी का सोंधापन लिए हुए ...बधाई रामशंकर जी
आपके प्रोत्साहन से मेरा प्रयास और उद्देश्य सफल हुआ बंधुवर. आभार ह्रदय से.
हटाएंअच्छे नवगीत के लिए रामशंकर जी को बधाई
जवाब देंहटाएंप्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद भाई.
हटाएंबहुत सुंदर नवगीत ...
जवाब देंहटाएंमन को छू गया ..
बधाई रमाशंकर जी ..
प्रशंसा और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार गीता जी.
हटाएंछोड़ छाड़
जवाब देंहटाएंसुविधा के मखमल गलीचे
अंतहीन भाग-दौड़ गुणा-भाग पीछे ...बहुत सुन्दर रचना रामशंकर जी
उत्साहवर्धन के लिए आभार मिश्र जी.
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार मिश्र जी।
जवाब देंहटाएं