आज देश की टेर लगी ...
क्यों तूने सुधि बिसराई है?
देश हमारा पालक है
किसको सुध इसकी आयी है
सिर पर हिम का ताज सजा
सागर भी पाँव पखारे है
गंगा जमुना पावन जल
कावेरी भी इतरायी है
देश हमारा पालक है
किसको सुध इसकी आयी है
देख तिरंगा मन झूमे
माटी को झुककर चूमे
इस झण्डे का सार बचे
अब आन की यही लड़ाई है
देश हमारा पालक है
किसको सुध इसकी आयी है
-बृजेश नीरज
लखनऊ
बृजेश जी, इस सरस, सुमधुर सुंदर गीत के लिए आपको हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंदीदी, यह तो आपके मार्गदर्शन का ही परिणाम है।
हटाएंसुंदर गीत...
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार!
हटाएंमेरे प्रयास को इस मंच पर स्थान प्रदान किया गया, इसके लिए मैं बहुत आभारी हूँ!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअच्छे गीत के लिए बृजेश जी को बधाई
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