आजादी के महापर्व का
प्रस्तुत है नवगीत
मीत कुछ मधुर मधुर
कुछ तीत।
पहले पद में चरण वंदना
शकुन्तला की संतानों की
फांसी के तख्ते पर हंसते
चटक गेरुए बलिदानों की
सत्य अहिंसा की हिंसा पर
जय के अनुपम वरदानों की
सात समंदर के राजा से
गयी लंगोटी जीत।
दूजे पद में मगहर महिमा
साखी सबद सुने सब नगरी
शान्ति सौख्य के उड़ें कबूतर
प्रेम सुधा रस बरसे बदरी
एक नूर से सब जग उपज्या
फिर क्यों तेरी मेरी गगरी
परहित अस्थि दान कर देना
रही सनातन रीत।
चरण तीसरे में खेतों के
धूल भरे पांवों का वंदन
गारे तसले वाले वाले सिर को
शत शत बार मेरा अभिनन्दन
नमन व्योम की उस उड़ान को
टिटी-हुट का करती क्रिन्दन
आशाओं के नवांकुरों का
नवजीवन संगीत।
साधो तैर रही चौतरफा
अब कुछ छप्पन छूरी बातें
पारे में उबाल लाने की
उजली टोपी की प्रतिघातें
जोखू जुम्मन के नामों से
राजसूय की बिछी बिसातें
राजा के घर राजा जन्में
कब बदलेगी रीत।
-रामशंकर वर्मा
प्रस्तुत है नवगीत
मीत कुछ मधुर मधुर
कुछ तीत।
पहले पद में चरण वंदना
शकुन्तला की संतानों की
फांसी के तख्ते पर हंसते
चटक गेरुए बलिदानों की
सत्य अहिंसा की हिंसा पर
जय के अनुपम वरदानों की
सात समंदर के राजा से
गयी लंगोटी जीत।
दूजे पद में मगहर महिमा
साखी सबद सुने सब नगरी
शान्ति सौख्य के उड़ें कबूतर
प्रेम सुधा रस बरसे बदरी
एक नूर से सब जग उपज्या
फिर क्यों तेरी मेरी गगरी
परहित अस्थि दान कर देना
रही सनातन रीत।
चरण तीसरे में खेतों के
धूल भरे पांवों का वंदन
गारे तसले वाले वाले सिर को
शत शत बार मेरा अभिनन्दन
नमन व्योम की उस उड़ान को
टिटी-हुट का करती क्रिन्दन
आशाओं के नवांकुरों का
नवजीवन संगीत।
साधो तैर रही चौतरफा
अब कुछ छप्पन छूरी बातें
पारे में उबाल लाने की
उजली टोपी की प्रतिघातें
जोखू जुम्मन के नामों से
राजसूय की बिछी बिसातें
राजा के घर राजा जन्में
कब बदलेगी रीत।
-रामशंकर वर्मा
चरण तीसरे में खेतों के
जवाब देंहटाएंधूल भरे पांवों का वंदन
गारे तसले वाले वाले सिर को
शत शत बार मेरा अभिनन्दन...
रामशंकर जी हर तरह के अनुपम भाव सँजोए इस चरणबद्ध अद्भुत नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई।
सत्य अहिंसा की हिंसा पर
जवाब देंहटाएंजय के अनुपम वरदानों की
सात समंदर के राजा से
गयी लंगोटी जीत।
सुंदर नवगीत के लिए बधाई रमाशंकरजी। - आकुल
साधो तैर रही चौतरफा
जवाब देंहटाएंअब कुछ छप्पन छूरी बातें
पारे में उबाल लाने की
उजली टोपी की प्रतिघातें
जोखू जुम्मन के नामों से
राजसूय की बिछी बिसातें....
प्रतीकों में देश की सारी हलचल दिखा दी, हमें आपसे प्रेरणा मिलती है...प्यारा नवगीत.
मिट्टी की महक संजोए मनमोहक गीत...
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 23.08.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
जवाब देंहटाएंरामशंकर जी को इस सुंदर नवगीत के लिए बधाई
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