जय भारत माँ! जय भारत माँ!
यह भूमि अहा! मम भारत की।
सुजला, सुफला, महकी-महकी।
इस भू पर जन्म अनंत लिए।
सुख सूर्य, अनेक बसंत जिये।
यह स्वर्ग धरा पर और कहाँ?
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
सिर, ताज हिमालय शोभित है।
चरणों पर सागर मोहित है।
हर रात यहाँ पर पूनम की।
हर प्रात सुवर्णिम सूरज की।
बहतीं यमुना अरु गंग यहाँ।
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
यह भूमि पुरातन वैभव की।
यह भूमि सनातन गौरव की।
यह संस्कृति की बहती सरिता।
अति पावन है यह वेद ऋचा।
इतिहास यही कहतीं सदियाँ।
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
हर हाथ जुड़े नित वंदन को।
हर शीश झुके अभिनंदन को।
यह पोषक है, अभिभावक है।
सुखकारक है, वरदायक है।
नित गुंजित हो इसकी महिमा।
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
हम याद रखें, यह माँ सबकी।
जिस छोर बसें, सुध लें इसकी।
बन सेवक हों, इसके प्रहरी।
पनपे मन में ममता गहरी।
कम हो न कभी इसकी गरिमा।
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
-कल्पना रामानी
यह भूमि अहा! मम भारत की।
सुजला, सुफला, महकी-महकी।
इस भू पर जन्म अनंत लिए।
सुख सूर्य, अनेक बसंत जिये।
यह स्वर्ग धरा पर और कहाँ?
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
सिर, ताज हिमालय शोभित है।
चरणों पर सागर मोहित है।
हर रात यहाँ पर पूनम की।
हर प्रात सुवर्णिम सूरज की।
बहतीं यमुना अरु गंग यहाँ।
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
यह भूमि पुरातन वैभव की।
यह भूमि सनातन गौरव की।
यह संस्कृति की बहती सरिता।
अति पावन है यह वेद ऋचा।
इतिहास यही कहतीं सदियाँ।
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
हर हाथ जुड़े नित वंदन को।
हर शीश झुके अभिनंदन को।
यह पोषक है, अभिभावक है।
सुखकारक है, वरदायक है।
नित गुंजित हो इसकी महिमा।
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
हम याद रखें, यह माँ सबकी।
जिस छोर बसें, सुध लें इसकी।
बन सेवक हों, इसके प्रहरी।
पनपे मन में ममता गहरी।
कम हो न कभी इसकी गरिमा।
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
-कल्पना रामानी
बहुत ही सुंदर सार्थक प्रस्तुती, आभार।
जवाब देंहटाएंनमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (20 -08-2013) के चर्चा मंच -1343 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंसुंदर वंदना भारत भूमि की।
जवाब देंहटाएंबधाई हो रामानीजी। एक और बधाई कि आप अभिव्यक्ति टीम में सहयोगी हैं। ई-पत्रिका को आपका सार्थक सहयोग इसे अवश्य ऊँचाई तक पहुँचाएगा। मेरी शुभकामनायें।
पूर्णिमाजी को भी बधाई दें। -आकुल
संवेदनशील रचना . सुन्दर गीत .बधाई ओर शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंसुंदर स्तुति । बधाई दी !
जवाब देंहटाएंहम याद रखें, यह माँ सबकी।
जवाब देंहटाएंजिस छोर बसें, सुध लें इसकी।
बन सेवक हों, इसके प्रहरी।
पनपे मन में ममता गहरी। ...
..बहुत सुंदर नवगीत...
भारत माँ के मंदिर में आरती की तरह...सुन्दर गीत..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत लिखा है कल्पना रामानी जी ने। उन्हें बहुत बहुत बधाई
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