10 नवंबर 2013

९. अधिक न टिका अँधेरा

समय समय का फेरा
अधिक न टिका अँधेरा

दीपक की बाती ने
जल कर रात निकाली
तिल तिल कर जलने की
पीड़ा हृदय छुपाली
जिसने साहस पाला
उसको मिला सबेरा
समय समय का फेरा

दुःख पीड़ा के भय से
थक बैठा वह हारा
जपतप को करने वाला
कहलाया ध्रुव तारा
जिसका गिरा मनोबल
राहू केतु ने घेरा
समय समय का फेरा

विपदाओं का जमघट
दैविक शक्ति जगाये
यह तथ्य सिद्ध करने
श्रीराम यहाँ पर आये
चौदह वर्षों तक जिनने
वन में डाला डेरा
समय समय का फेरा

-लक्ष्मीनारायण गुप्ता

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