एक पावन मंत्र गूँजा
नेह का नवगीत बनकर
शंख से बोला बजो,
नव वर्ष आया।
शांत कोहरे ने बनाया,
आसमाँ में इक झरोखा।
गुनगुनी सी धूप ने
शीतल हवा का वेग रोका।
एक अंकुर प्रात फूटा,
हर अँगन में प्रीत बनकर।
नींद से बोला उठो,
नव वर्ष आया।
नीड़ अपना छोड़ चिड़ियाँ,
पर पसारे चहचहाईं।
डाल चटकीं चारु कलियाँ,
भँवरों से नज़रें मिलाईं।
एक निश्चय पुनः पनपा,
हर नयन में जीत बनकर।
हाथ धर बोला-बढ़ो
नव वर्ष आया।
मंदिरों ने मस्जिदों को,
मिलन का संदेश भेजा।
बाग ने खलिहान को, भर
अंक में अपने सहेजा।
एक शहरी पाँव चलके,
गाँव आया मीत बनकर।
पर्व है बोला- चलो
नव वर्ष आया।
कल्पना रामानी
मुंबई
नेह का नवगीत बनकर
शंख से बोला बजो,
नव वर्ष आया।
शांत कोहरे ने बनाया,
आसमाँ में इक झरोखा।
गुनगुनी सी धूप ने
शीतल हवा का वेग रोका।
एक अंकुर प्रात फूटा,
हर अँगन में प्रीत बनकर।
नींद से बोला उठो,
नव वर्ष आया।
नीड़ अपना छोड़ चिड़ियाँ,
पर पसारे चहचहाईं।
डाल चटकीं चारु कलियाँ,
भँवरों से नज़रें मिलाईं।
एक निश्चय पुनः पनपा,
हर नयन में जीत बनकर।
हाथ धर बोला-बढ़ो
नव वर्ष आया।
मंदिरों ने मस्जिदों को,
मिलन का संदेश भेजा।
बाग ने खलिहान को, भर
अंक में अपने सहेजा।
एक शहरी पाँव चलके,
गाँव आया मीत बनकर।
पर्व है बोला- चलो
नव वर्ष आया।
कल्पना रामानी
मुंबई
एक निश्चय हर नयन में,
जवाब देंहटाएंपुनः पनपा जीत बन कर।
थाम कर बोला बढ़ो
नववर्ष आया।
कार्यशाला का प्रारंभ इस बेहद खूबसूरत गीत से हुआ।
हार्दिक बधाई कल्पना रामानी जी।
वाह वाह ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और मनभावन नवगीत हुआ है आदरणीया.
शुभ-शुभ
बहुत ही बढि़या रचना, सादर
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई दीदी!
जवाब देंहटाएंएक शहरी पाँव चलके गाँव आया मीत बनकर ...सुन्दर अभिव्यक्ति समेटे हुए सुन्दर नवगीत. बधाई आ कल्पना जी.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया नवगीत. सुन्दर और मनमोहक प्रतीकों के साथ. बधाई. आदरेय.
जवाब देंहटाएंप्रोत्साहित करने के लिए सभी मित्रों का हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत आ. आपको बधाई
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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