इन गुलाब की पंखुड़ियों पर
जमी ओस की बुँदकी चमकी
नए साल की आहट पाकर
उम्मीदों की बगिया महकी
रही ठिठुरती
साँकल गुपचुप
सर्द हवाओं के मौसम में
द्वार बँधी
बछिया निरीह सी
रही काँपती घनी धुँध में
छुअन किरण की मिली सबेरे
तब मुँडेर पर चिड़िया चहकी
दर-दर भटक रही
पगडंडी
रेत-कणों में
राह ढूँढती
बरगद की
हर झुकी डाल भी
जाने किसकी
बाँट जोहती
एक उदासी ओढ़े थी जो
नदिया की वह धारा हुमकी
-बृजेश नीरज
(इलाहाबाद)
जमी ओस की बुँदकी चमकी
नए साल की आहट पाकर
उम्मीदों की बगिया महकी
रही ठिठुरती
साँकल गुपचुप
सर्द हवाओं के मौसम में
द्वार बँधी
बछिया निरीह सी
रही काँपती घनी धुँध में
छुअन किरण की मिली सबेरे
तब मुँडेर पर चिड़िया चहकी
दर-दर भटक रही
पगडंडी
रेत-कणों में
राह ढूँढती
बरगद की
हर झुकी डाल भी
जाने किसकी
बाँट जोहती
एक उदासी ओढ़े थी जो
नदिया की वह धारा हुमकी
-बृजेश नीरज
(इलाहाबाद)
छुअन किरण की मिली सबेरे
जवाब देंहटाएंतब मुँडेर पर चिड़िया चहकी ...नए वर्ष की नयी आशाओं का संचार करता है यह गीत...बधाई ब्रिजेश जी.
आपका हार्दिक आभार!
हटाएंछुअन किरण की मिली सबेरे
जवाब देंहटाएंतब मुँडेर पर चिड़िया चहकी
शुबह की किरणे सम्पूर्ण जगत में नवजीवन ला देती है .. हार्दिक अभिन्दन!