27 दिसंबर 2013

१७. आओ प्यारे वर्ष

आओ प्यारे वर्ष! आप से
हर्ष भरे कहतीं लतिकाएँ
नए क्षितिज की नई किरन की
हरें दुआएँ, सभी बलाएँ

गंध, धूप औ ताप आप को
छल न सकें संताप आप को
कितने साल गए आए पर
किसको क्या दे पाए ?
पर इस साल जगी बैठी हैं,
सबके मन की अभिलाषाएँ

नव युग के सौभाग्य !
सजग हो अबकी आना
पिछले वाले 'सालों' जैसे
देखो,तुम भी मत हो जाना
ओ प्यारे नव वर्ष !
आप से अँखुआई लगती आशाएँ

कहीं दलाली कोयले जैसी
करके कालिख मत पुतवाना
बुढ़िया डायन मँहगाई से
तन की हड्डी मत नुचवाना
सोना उगले धरती अपनी
हरी-भरी फसलें लहराएँ

-डॉ. गुणशेखर
ग्वान्जाऊ (चीन)

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (28-12-2013) "जिन पे असर नहीं होता" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1475 पर होगी.
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
    सादर...!

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  2. नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाए
    काफी उम्दा रचना....बधाई...
    नयी रचना
    "ज़िंदगी का नज़रिया"
    आभार

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  3. नए क्षितिज की नई किरण की
    हरें दुआएँ, सभी बलाएँ
    अति सुन्दर स्वागत नव वर्ष का ....
    नई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
    नई पोस्ट ईशु का जन्म !

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  4. अति सुन्दर रचना...
    नववर्ष कि अग्रिम शुभकामनायें ...
    :-) http://mauryareena.blogspot.in/

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  5. इस सुन्दर रचना के लिए गुणशेखर जी को बधाई।

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  6. कहीं दलाली कोयले जैसी
    करके कालिख मत पुतवाना
    बुढ़िया डायन मँहगाई से
    तन की हड्डी मत नुचवाना
    सोना उगले धरती अपनी
    हरी-भरी फसलें लहराएँ
    अति सुंदर

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