4 फ़रवरी 2014

४. बस प्यार तुम्हारा

घूमूँगा बस प्यार तुम्हारा
तन मन पर पहने
पड़े रहेंगे बंद कहीं पर
शादी के गहने

चिल्लाते हैं गाजे बाजे
चीख रहे हैं बम
जेनरेटर करता है बक बक
नाच रही है रम

गली मुहल्ले मजबूरी में
लगे शोर सहने

सब को खुश रखने की खातिर
नींद चैन त्यागे
देहरी, आँगन, छत, कमरे सब
लगातार जागे

कौन रुकेगा, दो दिन इनसे
सुख दुख की कहने

शालिग्राम जी सर पर बैठे
पैरों पड़ी महावर
दोनों ही उत्सव की शोभा
फिर क्यूँ इतना अंतर

मैं खुश हूँ, यूँ ही आँखो से
दर्द लगा बहने

-सज्जन धर्मेन्द्र
बिलासपुर हि.प्र.

21 टिप्‍पणियां:

  1. वाह , बहुत सुन्दर नवगीत , मनभावन

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  2. चिल्लाते हैं गाजे बाजे
    चीख रहे हैं बम
    जेनरेटर करता है बक बक
    नाच रही है रम

    वाह सज्जन जी! कष्ट बतला कर भी जबरदस्त निर्वाह किया है :

    मैं खुश हूँ, यूँ ही आँखो से
    दर्द लगा बहने। बहुत सुन्दर !

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  3. नए नए अनुपम बिम्ब, अनुपम नवगीत! बहुत बहुत बधाई आपको धर्मेन्द्र जी

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  4. चिल्लाते हैं गाजे बाजे
    चीख रहे हैं बम
    जेनरेटर करता है बक बक
    नाच रही है रम

    गली मुहल्ले मजबूरी में
    लगे शोर सहने

    ओह्होः, क्या-क्या कह गये हैं धर्मेन्द्र भाई !
    मेरे घर के ठीक बगल में एक कोम्युनिटी हॉल है. शादी-विाह के मौसम में जिस दिन यह बुक होता है उस शाम हमारे अड़ोस-पड़ोस के परिवारों के सदस्यो को हर पल हृदयाघात की आशंका बनी रहती है. हज़ार डेसिबल के धरती दहलाऊ डीजे.. बोफ़ोर्स को धमाकों केलिए लज्जित करते अनवरत फूटते पटाखे.
    मेरे चौराहे के लोग बारातियों के ऐसे पैशाचिक व्यवहार पर नवोढ़ा को क्या आशीष देते होंगे, वो बस अनुमान करने की बात है. लेकिन बेचारे नव वर-वधु कर ही क्या सकते है ?

    इस नवगीत के लिए बधाई.

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  5. एक बेहतरीन गीत...अभिनव बिम्ब और कथ्य लिए हुए..आपको बधाई धर्मेन्द्र जी.

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  6. शालिग्राम जी सर पर बैठे
    पैरों पड़ी महावर
    दोनों ही उत्सव की शोभा
    फिर क्यूँ इतना अंतर

    मैं खुश हूँ, यूँ ही आँखो से
    दर्द लगा बहने ,,,,,, वाह आपके नवगीत बड़े अनूठे होते है।पढ़कर आनंद आ गया

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    1. हौसला अफ़जाई के लिए तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ कृष्ण नन्दन जी

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  7. सब को खुश रखने की खातिर
    नींद चैन त्यागे
    देहरी, आँगन, छत, कमरे सब
    लगातार जागे
    बहुत सुन्दर नवगीत
    rachana

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  8. हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ रचना जी

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  9. वाह ! सज्जन जी, शादी का माहौल भी और उसके साथ जुड़ी अव्यवस्था भी | फिर दुल्हे -दुल्हन को तो कोइ पूछता ही नहीं | सुन्दर बिम्ब और भाव के लिए आपको बधाई |

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  10. बहुत सुन्दर गीत! अभिनव बिम्ब और कथ्य! बहुत-बहुत बधाई!

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