27 मई 2014

५. गाँव के पीपल का संसार

भोलू भइया के
संग कंचे, भोली बुधिया के
संग प्यार
गाँव के पीपल
की छाया में, सिमटा है
निर्मल संसार

झूला झूल
रहा है बचपन, ठंडक में किलकारी दे
यौवन महक रहा है पावन, साँसें प्यारी प्यारी ले
देख रही हैं बूढ़ी आँखें,
सारे जीवन का सिंगार

शहर का पीपल
उगा सड़क पर, किसी ने प्याऊ लगा दिया
शीतल अमृत सी छाया में, जल सुविधा का सिला दिया
पीपल की पावनता प्यारी,
जन जन का करती उद्धार

गाँव शहर जी रहे
मधुर, जिस प्रकृति अलौकिक क्यारी को
उसकी प्राण वायु हर लेती, हर मुश्किल बीमारी को
पीपल सब में महापुण्यप्रद,
करता देवों का सत्कार

डॉ कृष्ण कान्त मधुर
नई दिल्ली

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