पीपल के पत्तों पर फिसल
रही चाँदनी
नालियों के भीगे हुए पेट पर
पास ही जम रही घुल रही
पिघल रही चाँदनी
पिछवाड़े बोतल के टुकड़ों पर--
चमक रही दमक रही
मचल रही चाँदनी
दूर उधर बुर्जों पर उछल
रही चाँदनी
आँगन में दूबों पर गिर पड़ी--
अब मगर किस कदर
सँभल रही चाँदनी
पिछवाड़े बोतल के टुकड़ों पर
नाच रही कूद रही उछल
रही चाँदनी
वो देखो सामने
पीपल के पत्तों पर फिसल
रही चाँदनी
-नागार्जुन
रही चाँदनी
नालियों के भीगे हुए पेट पर
पास ही जम रही घुल रही
पिघल रही चाँदनी
पिछवाड़े बोतल के टुकड़ों पर--
चमक रही दमक रही
मचल रही चाँदनी
दूर उधर बुर्जों पर उछल
रही चाँदनी
आँगन में दूबों पर गिर पड़ी--
अब मगर किस कदर
सँभल रही चाँदनी
पिछवाड़े बोतल के टुकड़ों पर
नाच रही कूद रही उछल
रही चाँदनी
वो देखो सामने
पीपल के पत्तों पर फिसल
रही चाँदनी
-नागार्जुन
बहुत सुंदर प्यारा गीत
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