पीले फूल लगें मखमल से
गुण क्या गाऊँ मैं
कनहल के
भीनी भीनी खुशबू प्यारी
दिल झूमे जब जाऊँ क्यारी
तोडूँ फूल लटकर डाली
देख मुझे चिल्लाता माली
पवन चले
हल्के हल्के
माँ मेरी जब मन्दिर जाए
पीले पीले फूल चढ़ाये
उन फूलों से हार बनाते
खुशी खुशी त्यौहार मनाते
वे प्यारे दिन
बचपन के
कनहल की डाली झूली है
फूलों ने क्यारी छू ली है
धूप छाँह की सीढ़ी चढ़ते
हरे भरे पत्तों पर पड़ते
छीटें शुभ
निर्मल जल के
- आशीष तिवारी
गुण क्या गाऊँ मैं
कनहल के
भीनी भीनी खुशबू प्यारी
दिल झूमे जब जाऊँ क्यारी
तोडूँ फूल लटकर डाली
देख मुझे चिल्लाता माली
पवन चले
हल्के हल्के
माँ मेरी जब मन्दिर जाए
पीले पीले फूल चढ़ाये
उन फूलों से हार बनाते
खुशी खुशी त्यौहार मनाते
वे प्यारे दिन
बचपन के
कनहल की डाली झूली है
फूलों ने क्यारी छू ली है
धूप छाँह की सीढ़ी चढ़ते
हरे भरे पत्तों पर पड़ते
छीटें शुभ
निर्मल जल के
- आशीष तिवारी
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