दिन ये बरसात के
कीचड के बदबू के
रपटीली रात के
दिन ये बरसात के
ये दिन बरसात के
माटी की गन्ध
गयी डूब किसी नाले में
माचिस भी सील गई
रखे रखे आले में
आँधी के, पानी के दुरदिन सौगात के
दिन ये बरसात के
ये दिन बरसात के
पुरवाई पेंग भरे
अंबुआ की डालपर
झींगुर दादुर गाते
संग संग ताल पर
झूलों के फूलों के अन्धेरे प्रभात के
दिन ये बरसात के
ये दिन बरसात के
- डॉ. भारतेन्दु मिश्र
कीचड के बदबू के
रपटीली रात के
दिन ये बरसात के
ये दिन बरसात के
माटी की गन्ध
गयी डूब किसी नाले में
माचिस भी सील गई
रखे रखे आले में
आँधी के, पानी के दुरदिन सौगात के
दिन ये बरसात के
ये दिन बरसात के
पुरवाई पेंग भरे
अंबुआ की डालपर
झींगुर दादुर गाते
संग संग ताल पर
झूलों के फूलों के अन्धेरे प्रभात के
दिन ये बरसात के
ये दिन बरसात के
- डॉ. भारतेन्दु मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है। कृपया देवनागरी लिपि का ही प्रयोग करें।