घन बंजारे
आ पहुँचे हैं
गाँव हमारे
चहल पहल होगी
अब ये कुछ मास रहेंगे
सुख बरसेंगे
नित्य मोहनी कथा कहेंगे
स्वप्नों का
व्यापार चलेगा
साँझ-सकारे
इन्द्रधनुष होंगे
उम्मीदों के पर होंगे
सद्यःस्नात खुशियों से पूरित
सब घर होंगे
पेंग बढ़ाकर
छू लेगा मन
नभ के तारे
उद्योगों से
सुख-साधन कर के जायेंगे
यादों को
हरियाली से भर के जायेंगे
जब भी आते
गाँव हमारे
लगते प्यारे
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
आ पहुँचे हैं
गाँव हमारे
चहल पहल होगी
अब ये कुछ मास रहेंगे
सुख बरसेंगे
नित्य मोहनी कथा कहेंगे
स्वप्नों का
व्यापार चलेगा
साँझ-सकारे
इन्द्रधनुष होंगे
उम्मीदों के पर होंगे
सद्यःस्नात खुशियों से पूरित
सब घर होंगे
पेंग बढ़ाकर
छू लेगा मन
नभ के तारे
उद्योगों से
सुख-साधन कर के जायेंगे
यादों को
हरियाली से भर के जायेंगे
जब भी आते
गाँव हमारे
लगते प्यारे
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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