29 जुलाई 2014

३६. घन बंजारे - त्रिलोक सिंह ठकुरेला

घन बंजारे
आ पहुँचे हैं
गाँव हमारे

चहल पहल होगी
अब ये कुछ मास रहेंगे
सुख बरसेंगे
नित्य मोहनी कथा कहेंगे

स्वप्नों का
व्यापार चलेगा
साँझ-सकारे

इन्द्रधनुष होंगे
उम्मीदों के पर होंगे
सद्यःस्नात खुशियों से पूरित
सब घर होंगे

पेंग बढ़ाकर
छू लेगा मन
नभ के तारे

उद्योगों से
सुख-साधन कर के जायेंगे
यादों को
हरियाली से भर के जायेंगे

जब भी आते
गाँव हमारे
लगते प्यारे

- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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