हे मदन मोहन मुरारी !
कर सकूँ वंदन तुम्हारा
इस तरह के
शब्द– स्वर दो।
नित्य माथे पर लगा हो
चरण रज चंदन तुम्हारा
भक्त वत्सल !
भक्ति भर दो ।
हे मदन मोहन मुरारी !
कर सकू वंदन तुम्हारा
इस तरह के
शब्द– स्वर दो।
तोड़ पाऊ मै कभी ना
यह बँधा बंधन तुम्हारा
हाँ मुझे बस
एक वर दो ।
हे मदन मोहन मुरारी !
कर सकू वंदन तुम्हारा
इस तरह के
शब्द– स्वर दो।
- अनिल मिश्रा
कर सकूँ वंदन तुम्हारा
इस तरह के
शब्द– स्वर दो।
नित्य माथे पर लगा हो
चरण रज चंदन तुम्हारा
भक्त वत्सल !
भक्ति भर दो ।
हे मदन मोहन मुरारी !
कर सकू वंदन तुम्हारा
इस तरह के
शब्द– स्वर दो।
तोड़ पाऊ मै कभी ना
यह बँधा बंधन तुम्हारा
हाँ मुझे बस
एक वर दो ।
हे मदन मोहन मुरारी !
कर सकू वंदन तुम्हारा
इस तरह के
शब्द– स्वर दो।
- अनिल मिश्रा
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