17 अगस्त 2014

३. ओ कन्हैया - कमलेश कुमार दीवान

ओ कन्हैया
फिर तुझे आना पड़ेगा

आज फिर मीरा को
विष देकर, सुधारा जा रहा है
द्रोपदी के चीर से
पर्वत बनाया जा रहा है
ओ कन्हैया लाज रखने
फिर तुझे आना पड़ेगा

सूर, उद्भव, नंद-जसुमति
देवकी वसुदेव सब है
पर बहुत है कंस,
फिर कारा बनाया जा रहा है
ओ कन्हैया कंस वध को
फिर तुझे आना पड़ेगा

रूक्मणी -राधा अकेली
गोपियों की बंद बोली
गंग जमुना विषधरों से
हो रही हैं नित्य मैली
ओ कन्हैया कालिया वध
के लिये आना पड़ेगा

- कमलेश कुमार दीवान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है। कृपया देवनागरी लिपि का ही प्रयोग करें।