18 जुलाई 2014

१३. वर्षा उतरे जब धरती पर - ज्योतिर्मयी पंत

वर्षा उतरे जब धरती पर
खुशियों को भी
लग जाते पर

वर्ष बाद बेटी ज्यों आती
धरती माँ को गले लगाती
गीला हो जाता है आँचल,
सौंधी माटी घर महकाती
हुलस-हुलस कर वृक्ष झूमते
झूले पड़ते जब
शाखों पर

दादी मैया चाची ताई
मिले बहाना सीली लकड़ी
आँसू औ' बूँदें बारिश की
बहने दें निर्झर चेहरे पर
काम समेटें भीग-भीग के
वर्षा की फुहार
आँचल भर

बच्चों का संसार निराला
कागज-नौका खुशियाँ दौलत
आँगन-छत बन जाय पनाला
बूढ़ों की चाह इक मोहलत
बचपन लौटे खुशियों वाला
भीगें नाचें कूदें
छत पर

- ज्योतिर्मयी पंत

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