18 मई 2009

13- हरि शर्मा

बदल गया है सब कुछ भैया
मगर प्यार का रंग ना बदला

बदली बदली हवा लग रही
बदले बदले लोग बाग़ हैं
बदले बदले समीकरण हैं
बदल गयी है नैतिकता भी
बदले लक्ष्य बदल गए साधन
देखे सभी बदलते हमने
मगर प्यार का रंग ना बदला

फैशन बदले कपड़े बदले
उपर से थोडा नीचे है
नीचे से थोडा ऊंचे है
नीचे ऊपर ऊपर नीचे
इनको देख हुआ जाता है
मेरा मन भी ताता थैया
मगर प्यार का रंग ना बदला

मंजर बदले आँखे बदली
यात्री बदले मंजिल बदली
आँखों के सब सपने बदले
बदला मौसम आँगन बदले
ओठों के सब गाने बदले
मांझी बदले बदली नैया
मगर प्यार का रंग ना बदला

10 टिप्‍पणियां:

  1. रि शर्मा जी के नवगीत में विविधता है कथ्य भी सुन्दर है लय भी पूर्णतः सधी हुई है। गीत के दो अन्तरों की छटवीं पंक्ति का समापन थैया, नैया जो कि भेया से तुकान्त किया है.किन्तु पहले अन्तरे में "देखे सभी बदलते हमने " है जो ठीक नहीं लग रहा है । इसे "देखे बिन पतवार खिबैया " जैसा कुछ किया जा सकता है।

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  2. वाह! खूब व्यंग्य है। बढ़िया लिखा है। शास्त्री जी की सलाह पर भी ध्यान दें।

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  3. बहुत सुन्दर गीत है.
    बधाई.

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  4. कटारे जी का सुझाव जबरदस्त है

    एक सुझाव की गुस्ताखी मैं भी करूँ?

    "हुआ जगत का अजब रवैया" भी कर सकते हैं

    बदले लक्ष्य बदल गये साधन
    हुआ जगत का अजब रवैया

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  5. कटारे जी, पूर्णिमा वर्मन जी,कमल जी, रंजना जी, राजरिशी जी - बिल्कुल आप सभी के सुझाब सहज स्वीकार्य हैं. इस तरह का ये पहला प्रयास है. इस तरह का ये पहला प्रयास है. आभार पूर्णिमा जी का जिन्होंने इस हेतु प्रेरित किया.

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  6. बधाई हरी शर्मा जी अच्छे गीत के लिये. नवगीत की संभावनाओं के निकट है ये गीत लेकिन माफ करियेगा दूसरा बन्द कुछ जमा नहीं अगर कवि का मन भी अश्लीलता को देखकर ता-ता थैया करेगा तो कैसे काम चलेगा.मुझे डा कुंअर बेचॆन का एक शेर याद आ रहा है...
    बात अच्छी हो तो उसकी जगह चर्चा करो.
    हो बुरी तो दिल में रक्खो फिर उसे अच्छा करो.
    हम लोग मूल्यों के लिये लिखते हैं अवमूल्यन या सिर्फ लिखने के लिये नहीं. बडा गुरुत्तर दायित्व है हम पर. भांड या मसखरे नहीं हैं हम. आशा है बुरा नहीं मानेंगे.....

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  7. मंजर बदले आँखे बदली
    यात्री बदले मंजिल बदली
    आँखों के सब सपने बदले
    बदला मौसम आँगन बदले
    ओठों के सब गाने बदले
    मांझी बदले बदली नैया
    मगर प्यार का रंग ना बदला

    बहुत बढ़िया...

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  8. हरि शर्मा जी का यह नवगीत भावी नवगीत की पृष्ठभूमि बनेगा ऐसी मुझे उम्मीद है।

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