गर्मी की रातें, वो गर्मी के दिन
दस्तक दें मुझको, क्यों याद करे मन?
वो बालू के टीले, वो मन्दिर की घंटी
वो बेला, चमेली, वो पानी की टंकी
वो रुकती हवाएं, वो पेड़ों के पत्ते
वो माटी घरोंदे, वो सखियों के मेले,
रातों की बातें, वो भीगा सा मन
तरसाए मुझको, क्यों याद करे मन?
ये तपते से दिन हैं, हैं कमरों में परदे
ये नकली हवा हैं, ये नकली ही गुल हैं
न बातों में सच है, ना वादों की हिम्मंत
न माटी है घर में, ना माटी की इज्ज्त
गर्मी की बातें, वो रीता सा खत
भरमाए मुझको, क्यों याद करे मन?
--डॉ.श्रीमती अजित गुप्ता
दस्तक दें मुझको, क्यों याद करे मन?
वो बालू के टीले, वो मन्दिर की घंटी
वो बेला, चमेली, वो पानी की टंकी
वो रुकती हवाएं, वो पेड़ों के पत्ते
वो माटी घरोंदे, वो सखियों के मेले,
रातों की बातें, वो भीगा सा मन
तरसाए मुझको, क्यों याद करे मन?
ये तपते से दिन हैं, हैं कमरों में परदे
ये नकली हवा हैं, ये नकली ही गुल हैं
न बातों में सच है, ना वादों की हिम्मंत
न माटी है घर में, ना माटी की इज्ज्त
गर्मी की बातें, वो रीता सा खत
भरमाए मुझको, क्यों याद करे मन?
--डॉ.श्रीमती अजित गुप्ता
गर्मी की रातें, वो गर्मी के दिन
जवाब देंहटाएंदस्तक दें मुझको, क्यों याद करे मन?
मुखड़ा तो अच्छा है परन्तु अंतरों में
भावों के बिखरेपन की टीस है.
पद्य यदि विषय को समेट कर लिखा जाये तो
उसकी सार्थकता में चार चाँद लग जाते हैं.
मेहनत और प्रयास किया गया है.
- विजय
ये तपते से दिन हैं, हैं कमरों में परदे
जवाब देंहटाएंये नकली हवा हैं, ये नकली ही गुल हैं
न बातों में सच है, ना वादों की हिम्मंत
न माटी है घर में, ना माटी की इज्ज्त
बहुत सुन्दर अभिवय्क्ति है आज का सच
सच्चाई भरा ये नवगीत बहुत भाया....
जवाब देंहटाएंबधाई...
बहुत ही सार्थक भाव लिए है आपकी कविता..!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल एक ही शुध दिख रहा है .....क्यो याद करे मन.....खुबसूरत मन की तरह..
जवाब देंहटाएंसाधारण छोटे छोटे शब्दों वाला यह गीत अच्छा है। पंक्तियों में लय है बहाव है। कुछ नए प्रयोग भी होते तो और अच्छा होता पर..
जवाब देंहटाएंन माटी है घर में न माटी की इज़्ज़त
इस एक पंक्ति में ही बहुत बड़ी बात कह दी है रचनाकार ने, जो गीत को सार्थक बनाती है। बहुत बहुत बधाई।
गर्मी की बातें, वो रीता सा खत-
जवाब देंहटाएंप्रकृति चित्रण के साथ इस नवगीत में यादों की भीनी अभिव्यक्ति पसंद आई। सुंदर गीत के लिए रचनाकार को बधाई।
हर रचनाकर समाज और मन:स्थिति के साथ बाहरी वातावरण को जोड कर अपनी बात लिखता है
जवाब देंहटाएंये नवगीत भी पसँद आया
- लावण्या
अच्छा नवगीत है ।बालू के टीले ,मंदिर की घंटी ,बेला चमेली ,पानी की टंकी ,पेड़ों के पत्ते, माटी घंरोंदे सब कुछ समेट लिया है छोटे से गीत में बधाई है गीतकार को। अंतिम पंक्ति में ऐसा कुछ करें तो अच्छा लगेगा॰॰
जवाब देंहटाएंगर्मी की बातें, खत का खालीपन।
कथ्य की दृष्टि से एक अच्छा गीत है परन्तु पूरी तरह से नवगीत नहीं बन पाया है।
जवाब देंहटाएंshilp achchha hai lekin vishay se vichlan hai
जवाब देंहटाएंन बातों में सच है, ना वादों की हिम्मंत
न माटी है घर में, ना माटी की इज्ज्त