17 जुलाई 2009

५- लुकाछिपी में जीवन

सुख जीवन में मीठी छाया
बौराया दुख काला साया
सुख दुख का
रिश्ता गहराया


सुख आए
जीवन खिल जाए
दुख के बादल
आस लगाएँ
लुकाछिपी में जीवन काया
तारों की यह कैसी माया
सुख दुख का
रिश्ता गहराया


संताप कटे
और चैन मिले
सुख के दिन
अनमोल लगे
भ्रमर ताल में नाच नचाया
जीवन का रस पूरा पाया
सुख दुख का
रिश्ता गहराया

--अर्बुदा ओहरी

14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह वाह !!!! लाजवाब !!

    बहुत ही सुन्दर रचना.....सुख दुःख की जीवन में उपस्थति को बड़े सुन्दर ढंग से आपने रेखांकित किया है....

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  2. भ्रमर ताल में नाच नचाया
    -------------------------
    इस पँक्ति का अर्थ समझ नहीँ पा रही - रचनाकार कृपया स्पष्ट करेँ
    नवगीत पसँद आया
    हरेक नवगीत पर टीप्पणी नहीँ दे पा रही - आजकल व्यस्तता बढ गई है -
    - लावण्या

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  3. गीत कुछ अटपटा-सा लगा एक पाठक के तौर पर मुझे तो।
    मुखड़े की पहली दो पंक्तियां उलझा जाती हैं कि आखिर सुक-दुख का रिश्ता क्यों गहराया?
    पहले अंतरे में भी "सुख आये" तो ठीक है "जीवन खिल जाये" किन्तु दुख के बादल आस लगायें-ये बात समझ नहीं रहा....
    उसी तरह दूसरे अंतरे में "सुख के दिन
    अनमोल लगे / भ्रमर ताल में नाच नचाया
    जीवन का रस पूरा पाया" ये पंक्तियां कुछ अधुरी सी, पूरे भाव को व्यक्त नहीं करती हैं।

    शायद मेरी समझ में कोई कमी या मेरी कम-इल्मी। सीख रहा हूँ। आशा है, रचनाकार अन्यथा नहीं लेंगे!

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  4. दो अन्तरे वाले इस छोटे से गीत में बहुत कुछ कहने की कोशिश की गई है किन्तु दोनों अन्तरों में एकरूपता नहीं है।इसे कुछ इस तरह किया जा सकता है॰॰॰
    काटे से संताप कटे न
    सुख आये बिन चैन मिले न
    भ्रमर ताल में नाच नचाया
    जीवन का रस पूरा पाया
    सुख दुख का
    रिश्ता गहराया

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  5. achha likha he aapne,
    sukh dukh ka rishta gahraya..., sach he dono me azeeb sa rishta he, yahi jeevan banata he/

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  6. सुख-दुख के कुछ आयामों को स्पर्श करता नवगीत।
    भ्रमर ताल में नाच नचाया
    इस पंक्ति का अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
    ल्या भ्रमर ताल किसी तालाब का नाम है या भ्रमर ने तालाब में नाच नचाया?
    सादर
    अमित

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  7. यहाँ भ्रमर गलती से लिखा गया है असल में भंवर ताल होना चाहिए था...जिसका अर्थ यहाँ सुख दुःख के चक्रव्यूह से है.
    सुख दुःख का रिश्ता बहुत ही गहरा होता है मेरे हिसाब से. तभी तो सुख के जाते ही दुःख आजाता है जैसे कि दुःख आस लगा रहा हो..सुख के जाने की . और इसी सुख दुःख के कारण जीवन का पूरा आनंद आता है. सभी मसाले डाले हो खाने में तभी तो स्वाद आता है.

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  8. यहाँ भ्रमर गलती से लिखा गया है असल में भंवर ताल होना चाहिए था...जिसका अर्थ यहाँ सुख दुःख के चक्रव्यूह से है.
    सुख दुःख का रिश्ता बहुत ही गहरा होता है मेरे हिसाब से. तभी तो सुख के जाते ही दुःख आजाता है जैसे कि दुःख आस लगा रहा हो..सुख के जाने की . और इसी सुख दुःख के कारण जीवन का पूरा आनंद आता है. सभी मसाले डाले हो खाने में तभी तो स्वाद आता है.

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  9. संताप कटे
    और चैन मिले
    सुख के दिन
    अनमोल लगे
    भ्रमर ताल में नाच नचाया
    जीवन का रस पूरा पाया
    मुझे यहाँ भ्रमर ताल का प्रयोग खटक रहा है। भ्रमर ताल कष्‍ट या मौत का प्रतीक है, जब तालाब में भ्रमर या भँवर उठता है तब वह अपने आगोश में आने वाली प्रत्‍येक वस्‍तु को निगल जाता है। अत: यह सुख का प्रतीक न होकर दुख का प्रतीक है। गीतकार ही बता सकेंगे कि उन्‍होंने इस शब्‍द का प्रयोग किसलिए किया है?

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  10. bhramar taal se matlab bhaNvre ki tarah niraNtar pryas se ras pana ho sakta hai ....kintu pahla aNtra to uljha hua sa lagta hai

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  11. bhramar taal se matlab bhaNvre ki tarah niraNtar pryas se ras pana ho sakta hai ....kintu pahla aNtra to uljha hua sa lagta hai

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  12. bhramar taal se matlab bhaNvre ki tarah niraNtar pryas se ras pana ho sakta hai ....kintu pahla aNtra to uljha hua sa lagta hai

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