30 जुलाई 2009

९- सुख की नैया मद्धम डोले

सुख की नैया मद्धम डोले
दुख छिप कर अपना मुख खोले

सुख दुख दो पहिए जीवन के
इक बहके तो दूजा टोके
अलग अलग न पार लगे
साथ चले दोऊ हौले-हौले

सुख की नैया मद्धम डोले
दुख छिप कर अपना मुख खोले

दिवस बिना रैना न चमके
एक ढ़ले तो दूजा दमके
उजियारा अंधियारा पाख
इक जागे जब दूजा सोले

सुख की नैया मद्धम डोले
दुख छिप कर अपना मुख खोले

--पारुल पुखराज

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