मन में उठते
भावनओं के तरंगो की तरह
आते ही रहते है
सुख दुःख जीवन में .
दिवस के साथ
धुप छाव का खेल
खेलते ही रहते है
सुख दुःख जीवन में .
संबंधो में खास
अपने और पराये की बात
बताते ही रहते है
सुख दुःख जीवन में .
संतोष की तलाश
कभी तृप्ति कभी त्रास
अमृत बरसते ही रहते है
सुख दुःख जीवन में,
जीवन संगीत के
लय पर
कदम थिरकाते ही रहते है
सुख दुःख जीवन में ,
नयनों में सजे सपनो में
कल्पना और हकीकत के
चलचित्र दिखाते ही रहते है
सुख दुःख जीवन में ,
प्रति पल जिंदगी के
जीवंतता का एहसास
कराते ही रहते है
सुख दुःख जीवन में .
अपराजिता
गीत अच्छा है लेकिन नवगीत की कसौटी पर इसे कैसे परखा जाए यह तो गीत प्रकाशित करने वाले ही बता सकते हैं । गीत सुख और दु:ख दर्शाता है और घटनाओं को सामने रखता है, गीत मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत है ।
जवाब देंहटाएंगीत की प्रारंभिक पंक्ति में कुछ गड़बड़ है, 'मन में उठते भावनाओं के तरंगों की तरह' के स्थान पर 'मन में उठती भावनाओं की तरंगों की तरह' होना चाहिए था ।